The Thief’s Story in Hindi Explanation, This page has the line by line explanation of the ncert class 10th English Footprints Without feet chapter two The Thief’s Story in Hindi. The Thief’s Story in Hindi Explanation
2. The Thief’s Story (चोर की कहानी)
I was still a thief when I met Anil. And though only 15, I was an experienced and fairly successful hand.
मैं तब भी एक चोर ही था जब मैं अनिल से मिला। हालाँकि मैं केवल 15, वर्ष का था, मैं अनुभवी और सफल था।
Anil was watching a wrestling match when I approached him. He was about 25 – a tall, lean fellow–and he looked easy–going, kind and simple enough for my purpose. I hadn’t had much luck of late and thought I might be able to get into the young man’s confidence.
अनिल एक कुश्ती का मैच देख रहा था जब मैं उसके पास पहुँचा। वह लगभग 25 वर्ष का था। एक लम्बा, दुबला पतला सा व्यक्ति था और वह मस्त, दयालु व सादा सा लगा जो मेरे उद्देश्य के लिये उपयुक्त था। काफी समय से मेरा भाग्य साथ नहीं दे रहा था और मैंने सोचा कि मैं इस व्यक्ति का विश्वास जीत सकता हूँ ।
“You look a bit of a wrestler yourself, ” I said. A little flattery helps in making friends.
“तुम स्वयं भी थोड़े बहुत पहलवान से लगते हो,” मैंने कहा। थोड़ी चापलूसी मित्र बनाने के लिए सहायक होती है।
“So do you,” he replied, which put me off for a moment because at that time I was rather thin.
“तुम भी ऐसे ही लगते हो” उसने उत्तर दिया, जिससे मैं एक क्षण के लिये चुप हो गया क्योंकि उस समय मैं काफी दुबला था।
“Well,” I said modestly, “I do wrestle a bit.”
“हाँ”, मैंने विनम्रतापूर्वक कहा, “मैं थोड़ी बहुत कुश्ती कर लेता हूँ।
“What’s your name?” “तुम्हारा नाम क्या है ?”
“Hari Singh,” I lied. I took a new name every month. That kept me ahead of the police and my former employers.
“हरि सिंह” मैंने झूठ बोला। मैं हर महीने एक नया नाम रख लेता था। इससे मैं पुलिस और अपने पुराने मालिकों से बचा रहता था।
After this introduction, Anil talked about the well-oiled wrestlers who were grunting, lifting and throwing each other about. I didn’t have much to say. Anil walked away. I followed casually.
इस परिचय के बाद, अनिल तेल मले हुए पहलवानों की बातें करने लगा जो दाँत दिखा रहे थे, एक दूसरे को उठा–पटक रहे थे। मेरे पास ज्यादा कुछ कहने को नहीं था। अनिल जाने लगा। मैंने अनायास ही उसका पीछा किया।
“Hello again,” he said. “हैलो”, उसने दोबारा कहा।
I gave him my most appealing smile. “I want to work for you,” I said.
मैं उसे देखकर अत्यन्त सुन्दर ढंग से मुस्कराया। “मैं तुम्हारे लिये काम करना चाहता हूँ ।” मैंने कहा।
“But I can’t pay you.”
“लेकिन मैं तुम्हें वेतन नहीं दे सकता।”
I thoughtthatover for a minute. Perhaps I had misjudged my man. I asked, “Can you feed me?”
इस बात पर मैंने एक क्षण के लिये सोचा । शायद मैंने गलत आदमी चुना था। मैंने पूछा, “क्या तुम मुझे भोजन दे सकते हो?’
“Can you cook?”
“क्या तुम खाना बना सकते हो?”
“I can cook,” I lied again.
“मैं खाना बना सकता हूँ” मैंने पुनः झूठ बोला।
“If you can cook, then may be I can feed you.”
“यदि तुम खाना बना सकते हो, तो शायद मैं तुम्हें खिला सकूँ।”
He took me to his room over the Jumna Sweet Shop and told me I could sleep on the balcony. But the meal I cooked that night must have been terrible because Anil gave it to stray dog and told me to be off. But I just hung around, smiling in my most appealing way, and he couldn’t help laughing.
वह मुझे जुमना स्वीट शॉप के ऊपर अपने कमरे पर ले गया और मुझे बालकनी में सोने को कहा। लेकिन उस रात मैंने जो खाना बनाया वह निश्चय ही बहुत खराब रहा होगा क्योंकि अनिल ने उसे एक आवारा कुत्ते को खिला दिया और मुझे चले जाने को कहा। लेकिन मैं वहीं खड़ा रहा, और बहुत सुन्दर ढंग से मुस्कराता रहा और वह भी हँसे बिना नहीं रह सका।
Later, he patted me on the head and said never mind, he’d teach me to cook. He also taught me to write my name and said he would soon teach me to write whole sentences and to add numbers. I was grateful. I knew that once I could write like an educated man there would be no limit to what I could achieve.
बाद में उसने मेरा सिर थपथपाया और कहा, कोई बात नहीं, वह मुझे पकाना सिखा देगा । उसने मुझे मेरा नाम लिखना भी सिखाया और कहा कि वह जल्दी ही मुझे पूरे वाक्य लिखना और अंक जोड़ना सिखा देगा। मैं उसका कृतज्ञ था। मैं जानता था कि एक बार मैं पढ़े-लिखे व्यक्ति की तरह लिखना सीख जाऊँ तो मेरी कमाई की सीमा नहीं होगी ।
It was quite pleasant working for Anil. I made the tea in the morning and then would take my time buying the day’s supplies, usually making a profit of about a rupee a day. I think he knew I made a little money this way but he did not seem to mind.
अनिल के लिये काम करना काफी आनन्ददायक था। सुबह मैं चाय बनाता और फिर दिन का सामान खरीदने में खूब समय लेता और प्राय: मैं एक दिन में एक रुपये का लाभ कमा लेता। मुझे लगता है कि वह जानता था कि मैं इस तरह पैसे बना रहा हूँ पर लगता था कि उसे इसका कोई फर्क नहीं पड़ता था ।
Anil made money by fits and starts. He would borrow one week, lend the next. He kept worrying about his next cheque, but as soon as it arrived he would go out and celebrate. It seems he wrote for magazines – a queer way to make a living!
अनिल की आमदनी अनियमित थी। किसी हफ्ते वह उधार लेता तो अगले हफ्ते उधार देता था। वह अपने अगले चैक की फिक्र में रहता, लेकिन चैक मिलते ही वह बाहर जाकर खुशी मनाता। ऐसा लगता था कि वह पत्रिका के लिए लिखता था। बड़ा अजीब ढंग का जीविका कमाने का ।
One evening he came home with a small bundle of notes, saying he had just sold a book to a publisher. At night, I saw him tuck the money under the mattress.
एक शाम वह रुपयों का छोटा सा पैकेट लेकर आया, यह कहकर कि उसने प्रकाशक को अपनी पुस्तक बेची है। रात को, मैंने उसे चटाई के नीचे पैसे रखते हुए देखा।
I had been working for Anil for almost a month and, apart from cheating on the shopping, had not done anything in my line of work. I had every opportunity for doing so. Anil had given me a key to the door, and I could come and go as I pleased. He was the most trusting person I had ever met.
अनिल के लिये मैं लगभग एक महीने से काम कर रहा था, और खरीददारी में पैसे बचाने के सिवाय मैंने अपने उद्देश्य की पूर्ति में कुछ खास नहीं किया था। मेरे पास ऐसा करने का पूरा मौका था। अनिल ने मुझे दरवाज़े की चावी दे रखी थी, और मैं अपनी मर्जी से आ-जा सकता था। आज तक मैं जिन भी लोगों से मिला था उनमें वह सबसे ज़्यादा विश्वास करने वाला व्यक्ति था।
And that is why it was so difficult to rob him. It’s easy to rob a greedy man, because he can afford to be robbed; but it’s difficult to rob a careless man – sometimes he doesn’t even notice he’s been robbed and that takes all the pleasure out of the work.
और इसलिये उसे लूटना भी कठिन था। एक लालची को लूटना आसान है, क्योंकि वह लूटे जाने को सहन कर सकता है; लेकिन एक लापरवाह को लूटना कठिन है। कभी-कभी उसे पता भी नहीं चलता कि उसे लूटा गया है, और इस तरह काम का (लूटने का) सारा मजा खराब हो जाता है।
Well, it’s time I did some real work, I told myself; I’m out of practice. And if I don’t take the money, he’ll only waste it on his friends. After all, he doesn’t even pay me.
खैर, अब समय है कि मैं कुछ वास्तविक काम करूँ, मैंने स्वयं से कहा; मेरा अभ्यास खत्म हो रहा था, और यदि मैं यह पैसा नहीं चुकाऊँगा तो वह केवल इसे दोस्तों पर खर्च कर देगा। आखिरकार, वह मुझे वेतन भी नहीं देता है।
Anil was asleep. A beam of moonlight stepped over the balcony and fell on the bed. I sat up on the floor, considering the situation. If I took the money, I could catch the 10.30 Express to Lucknow. Slipping out of the blanket, I crept up to the bed. Anil was sleeping peacefully. His face was clear and unlined; even I had more marks on my face, though mine were mostly scars.
अनिल सोया हुआ था। चन्द्रमा की एक किरण बालकनी के ऊपर से उसके बिस्तर पर पड़ रही थी । यदि मैं यह पैसा ले लूँ तो लखनऊ जाने वाले 10:30 की मेल पकड़ सकता हूँ। कम्बल से निकल कर, मैं बिस्तर की ओर सरक गया। अनिल शान्तिपूर्वक सो रहा था। उसका चेहरा स्पष्ट था और उस पर कोई शिकन नहीं था । यहाँ तक कि मेरे चेहरे पर अधिक निशान थे, हालाँकि वे सभी घाव के निशान (धब्बे) थे।
My hand slid under the mattress, searching for the notes. When I found them, I drew them out without a sound. Anil sighed in his sleep and turned on his side, towards me. I was startled and quickly crawled out of the room.
मेरा हाथ चटाई के नीचे सरक गया और नोट खोजने लगा। उन्हें पाने के बाद मैंने आवाज़ किये बिना उन्हें बाहर खींच लिया। अनिल ने नींद में आह भरी और मेरी ओर करवट ली। मैं चौंक गया और चुपचाप कमरे से बाहर निकल गया।
When I was on the road, I began to run. I had the notes at my waist, held there by the string of my pyjamas. I slowed down to a walk and counted the notes: 600 rupees in fifties ! I could live like an oil-rich Arab for a week or two.
सड़क पर आने के बाद, मैंने दौड़ना आरम्भ कर दिया। मेरी कमर पर पायजामे की डोरी से नोट बँधे हुए थे। मैं धीरे–धीरे चलने लगा और नोट गिने : पचास के नोटों में 600 रुपये थे। मैं एक या दो सप्ताह तक धनी तेल व्यापारी अरबवासी की तरह रह सकता था ।
When I reached the station I did not stop at the ticket office (I had never bought a ticket in my life) but dashed straight to the platform. The Lucknow Express was just moving out. The train had still to pick up speed and I should have been able to jump into one of the carriages, but I hesitated – for some reason I can’t explain – and I lost the chance to get away.
जब मैं स्टेशन पर पहुँचा तो टिकट खिड़की पर नहीं रुका (मैंने अपने जीवन में कभी टिकट नहीं खरीदा था) बल्कि सीधा ही प्लेटफार्म पर घुस गया। लखनऊ मेल लगभग बाहर ही निकल रही थी। ट्रेन अभी रफ्तार पकड़ने ही वाली थी और मैं किसी डिब्बे में कूद कर चढ़ सकता था, लेकिन मैं हिचकिचा गया। क्या कारण था मैं स्पष्ट रूप से नहीं बता सकता और मैंने भाग निकलने का अवसर गँवा दिया।
When the train had gone, I found myself standing alone on the deserted platform. I had no idea where to spend the night. I had no friends, believing that friends were more trouble than help. And I did not want to make anyone curious by staying at one of the small hotels near the station. The only person I knew really well was the man I had robbed. Leaving the station, I walked slowly through the bazaar.
जब ट्रेन चली गयी, तो मैंने स्वयं को नुकसान प्लेटफार्म पर अकेले खड़े पाया। मुझे समझ नहीं आ रहा था कि रात कहाँ बिताऊँ। मेरा कोई दोस्त नहीं था, मेरे विचार से दोस्त सहायता करने से ज़्यादा मुसीबत का कारण बन जाते हैं। और मैं स्टेशन से निकल के किसी छोटे से होटल में रुककर किसी को उत्सुक बनाना नहीं चाहता था। वास्तव में, मैं केवल एक उस ही व्यक्ति को जानता था कि जिसे मैंने लूटा था। स्टेशन से निकलकर, मैं बाजार में धीरे-धीरे चलने लगा।
In my short career as a thief, I had made a study of men’s faces when they had lost their goods. The greedy man showed fear; the rich man showed anger; the poor man showed acceptance. But I knew that Anil’s face, when he discovered the theft, would show only a touch of sadness. Not for the loss of money, but for the loss of trust.
चोर के रूप में अपने छोटे से कार्यकाल के दौरान मैंने सामान खो जाने पर अलग-अलग लोगों के चेहरे का अध्ययन किया था। लालची व्यक्ति डर, अमीर व्यक्ति क्रोध; गरीब आदमी स्वीकृति प्रदर्शित करता था। लेकिन मैं जानता था कि अनिल के चेहरे पर चोरी का पता लगने पर केवल दुःख का भाव आयेगा । पैसे के खोने के कारण नहीं बल्कि विश्वास टूट जाने के कारण।
I found myself in the maidan and sat down on a bench. The night was chilly – it was early November – and a light drizzle added to my discomfort. Soon it was raining quite heavily. My shirt and pyjamas stuck to my skin, and a cold wind blew the rain across my face.
मैंने स्वयं को एक मैदान में पाया और मैं एक बेंच पर बैठ गया। रात ठंडी थी शुरू नवम्बर के दिन थे और हल्की बूँदाबाँदी से मेरी परेशानी और बढ़ गयी। जल्दी ही तेज वर्षा होने लगीं। मेरी कमीज़ और पायजामा मेरी खाल से चिपक गये, और ठंडी बारिश मेरे चेहरे पर पड़ने लगी।
I went back to the bazaar and sat down in the shelter of the clock tower. The clock showed midnight. I felt for the notes. They were damp from the rain.
मैं वापिस बाज़ार गया और घंटाघर की छाया में बैठ गया । घड़ी में आधी रात का समय था । मैंने नोटों को छुआ। वे बारिश से गीले हो चुके थे।
Anil’s money. In the morning he would probably have given me two or three rupees to go to the cinema, but now I had it all. I couldn’t cook his meals, run to the bazaar or learn to write whole sentences any more.
ये अनिल का पैसा था। सुबह को शायद वह मुझे सिनेमा देखने के लिये एक–दो रुपये दे देता, पर अब ये सब मेरे थे। मुझे उसके लिये खाना नहीं बनाना था, बाज़ार नहीं जाना था और पूरे वाक्य लिखना भी नहीं सीखना था ।
I had forgotten about them in the excitement of the theft. Whole sentences, I knew, could one day bring me more than a few hundred rupees. It was a simple matter to steal – and sometimes just as simple to be caught. But to be a really big man, a clever and respected man, was something else. I should go back to Anil, I told myself, if only to learn to read and write.
मैं चोरी के जोश में उनके बारे में भूल गया था। पूरे वाक्य, मैं जातना था कि एक दिन कुछ सौ रुपयों के मुकाबले मैं उनसे ज्यादा कमा सकता था। चोरी करना आसान सा काम था और कभी–कभी पकड़ा जाना भी उतना ही आसान था । लेकिन वास्तव में एक बड़ा आदमी बनना, एक चतुर और सम्मानित व्यक्ति बनना, अलग बात थी। मुझे अनिल के पास लौट जाना चाहिये, मैंने स्वयं से कहा, यदि मैं पढ़ना–लिखना सीखना चाहता हूँ।
I hurried back to the room feeling very nervous, for it is much easier to steal something than to return it undetected. I open the door quietly, then stood in the doorway, in clouded moonlight. Anil was still asleep. I crept to the head of the bed, and my hand came up with the notes. I felt his breath on my hand. I remained still for a minute. Then my hand found the edge of the mattress, and slipped under it with the notes.
बहुत घबराते हुए मैं जल्दी से कमरे पर वापिस आ गया, क्योंकि चोरी करना आसान था और बिना पता लगे उसे लौटाना मुश्किल। मैंने चुपचाप दरवाजा खोला फिर बादलों से घिरी चाँदनी में दरवाज़े पर खड़ा हो गया। अनिल अब भी सोया हुआ था। मैं बिस्तर के सिरहाने तक रेंगा और रुपयों के साथ मेरा हाथ बाहर आया । मैंने अपने हाथ पर उसकी साँस महसूस की। मैं एक मिनट के लिये बुत बन गया। फिर मेरे हाथ चटाई के किनारे तक पहुँचे और नोटों के साथ उसके नीचे तक पहुँच गये।
I awoke late next morning to find that Anil had already made the tea. He stretched out his hand towards me. There was a fifty–rupee note between his fingers. My heart sank. I thought I had been discovered.
मैं अगली सुबह देर से उठा और देखा अनिल चाय बना चुका है। उसने अपने हाथ मेरी ओर बढ़ाये । उसकी उँगलियों में एक पचास का नोट था । मेरा दिल डूबने लगा। मैंने सोचा मैं पकड़ा गया।
“I made some money yesterday,” he explained. “Now you’ll be paid regularly.”
“मैंने कल कुछ पैसे कमाये थे”, उसने समझाया। “अब तुम्हें नियमिति वेतन मिलेगा।”
My spirits rose. But when I took the note, I saw it was still wet from the night’s rain.
मेरा उत्साह बढ़ गया। लेकिन जब मैंने नोट पकड़ा, मैंने देखा रात की बारिश से यह अब भी भीगा हुआ था।
“Today we’ll start writing sentences,” he said.
He knew. But neither his lips nor his eyes showed anything. I smiled at Anil in my most appealing way. And the smile came by itself, without any effort.
“आज हम वाक्य लिखना शुरु करेंगे,” उसने कहा। वह सब जानता था ।
लेकिन न तो उसके होठों और न ही उसकी आँखों ने कुछ प्रदर्शित किया। मैं अत्यन्त खुबसूरती से मुस्कराया और वह मुस्कराहट बिना किसी प्रयास के स्वतः उमड़ी थी ।
RUSKIN BOND
NCERT Class 10th Notes in Hindi
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