Two Stories About Flying in Hindi Explanation, This page has the line by line explanation of the ncert class 10th English first flight chapter three Two Stories About Flying in Hindi. NCERT Class 10th Ch 3. Two Stories About Flying
3. Two Stories About Flying (उड़ान के बारे में दो कहानियाँ)
BEFORE YOU READ
Since the earliest times, humans have dreamt of conquering the skies. Here are two stories about flying.
बहुत समय पहले से, मनुष्य ने हमेशा से आकाश विजय का सपना देखा है। यहाँ उड़ान के विषय में दो कथाएँ प्रस्तुत हैं।
- A young seagull is afraid to fly. How does he conquer his fear?
एक छोटा समुद्री मुर्ग उड़ने से डरता है। वह अपने डर पर कैसे विजय पाता है?
- A pilot is lost in storm cloud. Does he arrive safe? Who helps him?
एक वायुयान चालक तूफानी बादलों में गुम हो जाता है। क्या वह सुरक्षित पहुँचता है? कौन उसकी मदद करता है?
NCERT Class 10th Ch 3. Two Stories About Flying
i. HIS FIRST FLIGHT
The young seagull was alone on his ledge. His two brothers and his sister had already flown away the day before. He had been afraid to fly with them. Somehow when he had taken a little run forward to the brink of the ledge and attempted to flap his wings he became afraid. The great expanse of sea stretched down beneath, and it was such a long way down–miles down. He felt certain that his wings would never support him; so he bent his head and ran away back to the little hole under the ledge where he slept at night. Even when each of his brothers and his little sister, whose wings were far shorter than his own, ran to the brink, flapped their wings, and flew away, he failed to muster up courage to take that plunge which appeared to him so desperate. His father and mother had come around calling to him shrilly, upbraiding him, threatening to let him starve on his ledge unless he flew away. But for the life of him he could not move.
शिशु समुद्री पक्षी अपनी शिलाफलक पर अकेला था। उसके दो भाई और बहन एक दिन पहले ही उड़ गये थे। उसे उनके साथ उड़ने में भय लगता था। जैसे तैसे करके जब उसने शिलाफलक की ओर एक छोटी–सी दौड़ लगाई और अपने पंख फड़फड़ाने का प्रयास किया तो वह भयभीत हो गया। नीचे समुद्र का विशाल विस्तार फैला था और वह मीलों तक नीचे की ओर था। उसने निश्चय ही महसूस किया कि उसके पंख उसे कभी सहारा नहीं देंगे। अतः उसने अपना सिर झुकाया और शिलाफलक के नीचे उस छोटे से खोल की ओर ( वहाँ ) वापस भागा जहाँ वह रात को सोता था। जब उसके दोनों भाई और उसकी छोटी बहन जिनके पंख उससे कहीं अधिक छोटे थे किनारे तक दौड़ कर गए, अपने पंख फड़फड़ाए और उड़ गए, वह डुबकी लगाने के लिए साहस न बटोर सका, जो उसे निराशाजनक प्रतीत होता था। उसके माता–पिता उसके पास तीक्ष्ण स्वर में फटकार लगाते हुए उसे बुलाने आए। उन्होंने उसे फटकार भी दी कि यदि वह उड़ेगा नहीं तो शिलाफलक पर उसे भूखा मरने दिया जाएगा। किन्तु वह अपनी जीवन रक्षा के लिए भी हिल न सका।
That was twenty-four hour ago. Since then nobody had come near him. The day before, all day long, he had watched his parents flying about with his brothers and sister, perfecting them in the art of flight, teaching them how to skim the waves and how to dive for fish. He had, in fact, seen his older brother catch his first herring and devour it, standing on a rock, while his parents circled around raising a proud cackle. And all the morning the whole family had walked about on the big plateau midway down the opposite cliff taunting him with his cowardice.
यह 24 घंटे पहले की बात थी। तब से कोई भी उसके पास नहीं आया था। एक दिन पहले उसने अपने माता–पिता को अपने भाइयों तथा बहन के साथ उड़ते देखा था, वे उन्हें उड़ान कला में पारंगत कर रहे थे, वे उन्हें सिखा रहे थे किस प्रकार लहरों से ऊपर उड़ते हुए मछली पकड़ने के लिए गोता लगाया जाता है। वास्तव में उसने अपने बड़े भाई को पहली मछली पकड़ते तथा उसे भक्षण करते हुए देखा था, वह एक शिला पर खड़ा था, जबकि उसके माता–पिता गर्व से शोर करते हुए उसके चारों ओर चक्कर काट रहे थे। और सारी प्रातः सारा परिवार उस बड़े पठार पर उस पहाड़ी के सामने घूमता रहा और उस बच्चे को उसकी कायरता पर ताने कसता रहा ।
The sun was now ascending the sky, blazing on his ledge that faced the south. He felt the heat because he had not eaten since the previous nightfall.
अब सूर्य आकाश में ऊपर चढ़ रहा था, उसकी तेज धूप उस शिलाफलक पर पड़ रही थी जो दक्षिण की ओर उन्मुख था । उसने तपन को अनुभव किया क्योंकि गत रात्रि से उसने कुछ नहीं खाया था ।
He stepped slowly out to the brink on the ledge, and standing on the leg with the other leg hidden under his wing, he closed one eye, then the other, and pretended to be falling asleep. Still they took no notice of him. He saw him two brothers and his sister lying on the plateau dozing with their heads sunk into their necks. His father was preening the feathers on his white back. Only his mother was looking at him. She was standing on a little high hump on the plateau, her white breast thrust forward. Now and again, she tore at a piece of fish that lay at her feet and then scrapped each side of her beak on the rock. The sight of the foo food maddened him. How he loved to tear food that way, scrapping his beak now and again to what it.
वह धीरे–धीरे शिलाफलक के किनारे तक जाने के लिए बाहर निकला, और एक टाँग पर खड़ा हो गया (और) दूसरी टाँग अपने पंख के नीचे छिपा ली, उसने अपनी एक आँख बंद कर ली, फिर दूसरी आँख भी, और सोने का नाटक किया। फिर भी उन्होंने (उसके परिवार वालों ने) उसकी ओर कोई ध्यान नहीं दिया। उसने अपने दोनों भाइयों तथा बहन को पठार पर लेटे देखा। वे अपने सिरों को अपनी गर्दनों में डाले काँप रहे थे। उसका पिता अपनी सफेद पीठ के पंखों को लेट कर सँवार रहा था। केवल उसकी माँ ही उसे देख रही थी। वह पठार की एक कम ऊँची शिला पर खड़ी थी। उसकी सफेद छाती आगे की ओर निकली हुई थी। वह बार–बार अपनी टाँग के पास पड़े मछली के एक टुकड़े को फाड़ रही थी और शिला पर अपनी चोंच को दोनों ओर से रगड़ रही थी । भोजन के दृश्य ने उसे पागल बना दिया था। उसकी प्रबल इच्छा थी कि वह भी उसी प्रकार से भोजन को नोचे । वह चाहता था कि वह भी अपनी चोंच को धार देने ( तेज करने) के लिए बार–बार रगड़े।
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“Ga, ga, ga,” he cried begging her to bring him some food. “Gaw–col–ah,” she screamed back derisively. But he kept calling plaintively, and after a minute or so he uttered a joyful scream. His mother had picked up a piece of the fish and was flying across to him with it. He leaned out eagerly, tapping the rock with his feet, trying to get nearer to her as she flew across. But when she was just opposite to him, she halted, her wings motionless, the piece of fish in her beak almost within reach of his beak. He waited a moment in surprise, wondering why she did not come nearer, and then, maddened by hunger, he dived at the fish. With a loud scream he fell outwards and downwards into space. Then a monstrous terror seized him and his heart stood still. He could hear nothing. But it only lasted a minute. The next moment he felt his wings spread outwards. The wind rushed against his breast feathers, then under his stomach, and against his wings. He could feel the tips of his wings cutting through the air. He was not falling headlong now. He was soaring gradually downwards and outwards. He was no longer afraid. He just felt a bit dizzy. Then he flapped his wings once and he soared upwards. “Ga, ga, ga, Ga, ga, ga, Gaw–col–ah, ” his mother swooped past him, her wings making a loud noise. He answered her with another scream. Then his father flew over him screaming. He saw his two brothers and his sister flying around him curveting and banking and soaring and diving.
NCERT Class 10th Ch 3. Two Stories About Flying
“गा, गा, गा, ” वह चिल्लाया। वह अपनी माँ से खाने के लिए कुछ लाने का निवेदन कर रहा था। माँ ने भी उसे चिढ़ाते हुए आवाज निकाली। किन्तु वह उदासी में आवाज देता रहा और एक मिनट पश्चात् प्रसन्नता से चीख मारी। उसकी माँ ने मछली का एक टुकड़ा अपनी चोंच में ले लिया था और उड़ कर उसकी ओर जा रही थी। वह उत्सुकतापूर्वक आगे को झुका, अपने पाँव से शिला को थपथपा रहा था। ज्योंही वह (उसकी माँ) उसकी ओर उड़ी, वह उसके अधिक से अधिक निकट जाने का प्रयास करने लगा। किन्तु जब वह ठीक उसके सामने आ गई, वह रूक गयी, उसके पंख गतिहीन हो गए, उसकी चोंच में पड़ा मछली का टुकड़ा उसकी (बच्चे की ) चोंच की पहुँच में था। उसने आश्चर्य से एक क्षण प्रतीक्षा की, उसे हैरानी हो रही थी कि माँ और निकट क्यों नहीं आ रही, और फिर भूख से पागल होकर उसने मछली पर झपट्टा मारा। चीख के साथ वह बाहर की ओर और नीचे की ओर शून्य में गिर गया। फिर उसके मन में भयानक डर समा गया और उसके हृदय की धड़कन रूक गयी । उसे कुछ भी सुनाई नहीं दिया । किन्तु यह स्थिति केवल एक मिनट ही रही, अगले क्षण उसने अपने पंखों को बाहर फैलते महसूस किया। हवा उसकी छाती के परों से टकराने लगी, फिर उसके पेट से और फिर उसके पंखों से। उसने अपने परों की नोक को हवा में से काटते हुए महसूस किया। अब वह सिर के बल नहीं गिर रहा था। वह धीरे-धीरे नीचे और बाहर की ओर उड़ रहा था। अब वह डर भी नहीं रहा था, उसे केवल कुछ चक्कर सा आ रहा था। फिर उसने अपने परों को एक बार फड़फड़ाया और ऊपर की ओर उड़ने लगा । “गा, गा, गा, गा, गा, गा” वह चिल्लाया। उसकी माँ झपट्टा मार कर उसके पास से गुजर गयी, उसके पंख ऊँची आवाज कर रहे थे। उसने एक और चीख मारकर उसका उत्तर दिया। फिर उसका पिता चीख मारता हुआ उसके ऊपर से उड़ा। उसने अपने दोनों भाइयों तथा बहन को अपने चारों ओर उड़ते हुए देखा । वह घोड़े की तरह उछलते तथा करवट लेते, ऊपर उड़ तथा डुबकी लगा रहे थे।
Then he completely forgot that he had not always been able to fly, and commanded himself to dive and soar and curve, shrieking shrilly.
He was near the sea now, flying straight over it, facing straight out over the ocean. He saw a vast green sea beneath him, with little ridges moving over it and he turned his beak sideways and cawed amusedly.
फिर वह इस बात को पूर्णतया भूल गया कि वह सदा ही उड़ने में असमर्थ रहा था; और गोता लगाने, ऊपर उड़ने और उछालें मारने में अपनी प्रशंसा करने लगा। वह कर्कश स्वर में चीखने भी लगा ।
अब वह समुद्र के निकट था, उसके ऊपर सीधा उड़ रहा था, समुद्र के ऊपर सीधे समानान्तर देख रहा था। उसने अपने नीचे एक विशाल हरा समुद्र देखा, उसके ऊपर लहरियाँ चल रही थीं, उसने अपनी चोंच इधर-उधर घुमाई तथा प्रसन्नता से आवाज निकाली।
His parents and his brothers and sister had landed on this green flooring ahead of him. They were beckoning to him, calling shrilly. He dropped his legs to stand on the green sea. His legs sank into it. He screamed with fright and attempted to rise again flapping his wings. But he was tired and weak with hunger and he could not rise, exhausted by the strange exercise. His feet sank into the green sea, and then his belly touched it and he sank no farther. He was floating on it, and around him his family was screaming, praising him and their beaks were offering him scraps of dog–fish.
He had made his first flight.
Then he completely forgot that he had not always been able to fly, and commanded himself to dive and soar and curve, shrieking shrilly.
He was near the sea now, flying straight over it, facing straight out over the ocean. He saw a vast green sea beneath him, with little ridges moving over it and he turned his beak sideways and cawed amusedly.
फिर वह इस बात को पूर्णतया भूल गया कि वह सदा ही उड़ने में असमर्थ रहा था; और गोता लगाने, ऊपर उड़ने और उछालें मारने में अपनी प्रशंसा करने लगा। वह कर्कश स्वर में चीखने भी लगा ।
अब वह समुद्र के निकट था, उसके ऊपर सीधा उड़ रहा था, समुद्र के ऊपर सीधे समानान्तर देख रहा था। उसने अपने नीचे एक विशाल हरा समुद्र देखा, उसके ऊपर लहरियाँ चल रही थीं, उसने अपनी चोंच इधर-उधर घुमाई तथा प्रसन्नता से आवाज निकाली।
His parents and his brothers and sister had landed on this green flooring ahead of him. They were beckoning to him, calling shrilly. He dropped his legs to stand on the green sea. His legs sank into it. He screamed with fright and attempted to rise again flapping his wings. But he was tired and weak with hunger and he could not rise, exhausted by the strange exercise. His feet sank into the green sea, and then his belly touched it and he sank no farther. He was floating on it, and around him his family was screaming, praising him and their beaks were offering him scraps of dog-fish.
He had made his first flight.
उसके माता-पिता, भाई तथा बहन उससे आगे समुद्र के हरे तल पर उतर गए थे। वे उसे आने के लिए संकेत दे रहे थे, उसे तीक्ष्ण आवाज में बुला रहे थे। उसने भी अपनी टाँगें हरे समुद्र में खड़े होने के लिए डाल दी थीं। उसकी टाँगें उसमें डूब गयीं। वह भय से चीख उठा और अपने परों को फड़फड़ाकर पुनः ऊपर उठने की चेष्टा की । किन्तु वह थका हुआ था, भूख के कारण कमजोर था और उठ न सका, विचित्र व्यायाम से शिथिल हो गया था। उसके पांव हरे समुद्र में धँस गए और फिर उसका पेट उसके (तल) को छूने लगा और वह और अधिक नहीं धँस पाया। वह उस पर तैर रहा था, और उसके चारों ओर उसका परिवार चीख रहा था, उसकी प्रशंसा कर रहा था और उनकी चोंचें उसे मछली के टुकड़े पेश कर रही थीं।
उसने अपनी पहली उड़ान भर ली थी।
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ii. THE BLACK AEROPLANE
The moon was coming up in the east, behind me, and stars were shining in the clear sky above me. There wasn’t a cloud in the sky. I was happy to be alone high up above the sleeping countryside. I was flying my old Dakota aeroplane over France back to England. I was dreaming of my holiday and looking forward to being with my family. I looked at my watch: one thirty in the morning.
चन्द्रमा मेरे पीछे पूर्व में ऊपर आ रहा था और मेरे ऊपर सितारे साफ आकाश में चमक रहे थे। आकाश में एक भी बादल नहीं था। मैं प्रसन्न था कि सोए हुए ग्रामीण क्षेत्र के ऊपर उड़ रहा हूँ। मैं अपने पुराने डकोटा यान को फ्रांस के ऊपर उड़ा रहा था, इंगलैंड वापस लौट रहा था। मैं अपनी छुट्टी का सपना देख रहा था, और अपने परिवार से मिलने की आशा लिए था। मैंने अपनी घड़ी में देखा, प्रातः के डेढ़ बज रहे थे ।
‘I should call Paris Control soon,’ I thought. As I looked down past the nose of the aeroplane. I saw the lights of a big city in front of me. I switched on the radio and said, “Paris Control, Dakota DS 088 here. Can you hear me? I’m on my way to England. Over.”
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मैंने सोचा, “मुझे पेरिस नियंत्रण कक्ष से शीघ्र सम्पर्क कर लेना चाहिए ।” जब मैंने यान के अग्र भाग से आगे नीचे की ओर देखा तो मुझे सामने एक विशाल नगर के प्रकाश बिन्दु दिखाई दिए। मैंने रेडियो खोल दिया और कहा, “पेरिस नियन्त्रण कक्ष, डकोटा DS 088 से बोल रहा हूँ। क्या आप मेरी आवाज़ सुन रहे हैं? मैं इंगलैंड लौट रहा हूँ । समाप्त।”
The voice from the radio answered me immediately : “DS 088, I can here you. You ought to turn twelve degrees west now, DS 088. Over. “
I checked the map and the compass, switched over to my second and last fuel tank, and turned the Dakota twelve degrees west towards England.
‘I’ll be in time for breakfast, ‘I thought. A good big English breakfast! Everything was going well–It was an easy flight.
रेडियो से तुरन्त उत्तर मिला, “DS 088, मैं तुम्हें सुन सकता हूँ। तुम्हें अब 12 डिग्री पश्चिम में मुड़ जाना चाहिए। समाप्त।”
मैंने नक्शे तथा कुतुबनुमा का निरीक्षण किया, फिर दूसरी तथा अन्तिम ईंधन-टंकी का बटन दबाया और डकोटा को 12 डिग्री पश्चिम इंगलैंड की दिशा में मोड़ दिया।
‘मैं नाश्ते के समय पहुँच जाऊँगा, ‘ मैंने सोचा । अंग्रेजी नाश्ता बड़ा अच्छा होता है। सब ठीक चल रहा था- बड़ी सुगम उड़ान थी।
Paris was about 150 kilometres behind me when I saw the clouds. Storm clouds. They were huge. They looked like black mountains standing in front of me across the sky. I knew I could not fly up and over them, and I did not have enough fuel to fly around them to the north or south.
पेरिस कोई 150 कि.मी. मेरे पीछे रह गया था जब मैंने बादलों को देखा। तूफानी बादल । वे विशालकाय थे। आकाश में मेरे सामने काले पर्वतों जैसे बादल दिख रहे थे। मैं जानता था कि मैं इन बादलों के ऊपर नहीं उड़ सकता और फिर इन बादलों से बचकर उत्तर या दक्षिण की ओर यदि जाना चाहूँ तो उसके लिए मेरे पास पर्याप्त ईंधन नहीं था।
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“I ought to go back to Paris, ” I thought, but I wanted to get home. I wanted that breakfast.
‘I’ll take the risk.’ I thought, and flew that old Dakota straight into the storm.
“मुझे पेरिस लौट जाना चाहिए, ” मैंने सोचा, पर मैं घर पहुँचना चाहता था। मैं नाश्ता करना चाहता था।
‘मैं खतरा मोल लूँगा, ‘ मैंने सोच लिया और उस पुराने डकोटा को सीधे तूफान के अन्दर ले गया।
Inside the clouds, everything was suddenly black. It was impossible to see anything outside the aeroplane. The old aeroplane jumped and twisted in the air. I looked at the compass. I couldn’t believe my eyes: the compass was turning round and round. It was dead. It would not work ! The other instruments were suddenly dead, too, I tried the radio.
बादलों के अन्दर सब कुछ अचानक अंधकारमय हो गया । यान से बाहर कुछ भी देख पाना असंभव था। पुराना यान हवा में उछला तथा टेढ़ा-मेढ़ा हुआ । मैंने कुतुबनुमा में देखा। मुझे अपनी आँखों पर विश्वास नहीं हुआ । कुतुबनुमा में सूई घूम रही थी। वह बेकार हो गया था । वह काम नहीं कर रहा था। अन्य उपकरणों ने भी अचानक काम करना बन्द कर दिया। मैंने रेडियो चलाना चाहा।
“Paris Control? Paris Control? Can you hear me?”
There was no answer. The radio was dead too. I had no radio, no compass, and I could not see where I was. I was lost in the storm. Then, in the black clouds quite near me, I saw another aeroplane. It had no lights on its wings, but I could see it flying next to me through the storm. I could see the pilot’s face-turned towards me. I was very glad to see another person. He lifted one hand and waved.
“Follow me,” he was saying. “Follow me.”
‘He knows that I am lost,’ I thought. ‘He’s trying to help me . ‘
“पेरिस नियंत्रण–कक्ष? पेरिस नियंत्रण कक्ष ? क्या तुम मझे सुन सकते हो?” कोई उत्तर नहीं आया। रेडियो भी बेकार हो गया था। मेरे पास अब न रेडियो था, न कम्पास, न मैं देख सकता था कि मैं कहाँ हूँ। मैं तूफान में भटक गया था। तब काले बादलों में जो मेरे आस-पास थे, मैंने एक अन्य यान देखा। उसके पंखों पर प्रकाश नहीं था । किन्तु मैं उसे अपने आगे तूफान में से उड़ते हुए देख सकता था । मैं यान चालक के चेहरे को अपनी ओर मुड़ा हुआ देख सकता था। मैं दूसरे व्यक्ति को देखकर बड़ा प्रसन्न हुआ। उसने एक हाथ ऊपर उठाया और हिलाया ।
वह कह रहा था, “मेरे पीछे आओ, मेरे पीछे-पीछे आओ।”
मैंने सोचा, “वह जानता है कि मैं रास्ता भटक गया हूँ।” “वह मेरी सहायता करने का प्रयत्न कर रहा है।”
He turned his aeroplane slowly to the north, in front of my Dakota, so that it would be easier for me to follow him. I was very happy to go behind the strange aeroplane like an obedient child.
उसने अपना बान धीरे से उत्तर दिशा को मोड़ दिया और मेरे डकोटा के सामने आ गया, ताकि मुझे उसका पीछा करने में आसानी हो। मुझे एक आज्ञाकारी बालक की तरह उस अजनबी बान के पीछे जाने में बहुत प्रसन्नता थी।
After half an hour the strange black aeroplane was still there in front of me in the clouds. Now there was only enough fuel in the old Dakota’s last tank to fly for five or ten minutes more. I was starting to feel frightened again. But then he started to go down and I followed through the storm.
आधे घंटे के पश्चात् वह अपरिचित काला यान अब भी मेरे सामने वहाँ पर बादलों में था। अब उस पुराने डकोटा की अन्तिम टंकी में पाँच या दस मिनट तक उड़ान के लिए ईंधन शेष था। मुझे पुनः भय लगने लगा था। किन्तु फिर उसने नीचे जाना शुरू कर दिया और मैं तूफान में ही उसका पीछा करता रहा।
Suddenly I came out of the clouds and saw two long straight lines of lights in front of me. It was a runway! An airport! I was safe! I truned to look for my friend in the black aeroplane, but the sky was empty. There was nothing there. The black aeroplane was gone. I could not see it anywhere.
अचानक मैं बादलों से बाहर निकल आया और अपने सामने बत्तियों की जलती हुई दो पंक्तियाँ देखीं। यह यान की पट्टरी थी। यह हवाई अड्डा था । मैं सुरक्षित था। मैंने काले यान में बैठे अपने मित्र को देखने के लिए सिर झुकाया, पर आकाश खाली था । वहाँ कुछ भी नहीं था । काला यान जा चुका था। मुझे वह कहीं भी दिखाई नहीं दिया।
I landed and was not sorry to walk away from the old Dakota near the control tower. I went and asked a woman in the control centre where I was and who the other pilot was. I wanted to say ‘Thank you.’
She looked at me very strangely, and then laughed.
मैंने यान को उतार दिया और अपने पुराने डकोटा में से नियंत्रण टावर के निकट पैदल चलकर जाने में मुझे दुःख नहीं हुआ। मैं गया और नियंत्रण केन्द्र में बैठी महिला से पूछा कि मैं कहाँ हूँ और दूसरा यान चालक कौन था। मैं उसे धन्यवाद देना चाहता था ।
उसने मुझे आश्चर्य से देखा, और फिर हँस पड़ी।
“Another aeroplane ? Up there in this storm? No other aeroplanes were flying tonight. Yours was the only one I could see on the radar.”
So who helped me to arrive there safely without a compass or a radio, and without any more fuel in my tanks? Who was the pilot on the strange black aeroplane, flying in the storm, without lights?
” दूसरा यान?” इस तूफान के ऊपर? आज रात्रि को कोई अन्य यान नहीं उड़ रहे थे। तुम्हारा ही एक मात्र यान था जिसे मैंने रडार पर देखा ।
तो फिर किसने मुझे वहाँ सुरक्षित पहुँचाने में मेरी सहायता की जबकि मेरे पास न तो कम्पास था, न ही रेडियो और मेरी टंकियों में पेट्रोल भी अधिक नहीं था? उस अजनबी काले यान पर पायलट कौन था जो तूफान में बिना बत्तियों के ही उड़ रहा था?
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