इस पोस्ट में NCERT कक्षा 10 के सामाजिक विज्ञान अर्थशास्त्र के पाठ तीन ‘मुद्रा और साख (Mudra or sakh class 10)’ के Book solutions and notes को पढ़ेंगे।
पाठ 3
मुद्रा और साख
1. जोखिम वाली परिस्थितियों में ऋण कर्ज़दार के लिए और समस्याएँ खड़ी कर सकता है। स्पष्ट कीजिए।
उत्तर- जोखिम वाली परिस्थितियों में ग्रहण कर्जदार के लिए और समस्याएं खड़ी कर सकता है। इसका स्पष्ट उदाहरण निम्नलिखित है। जोखिम वाली परिस्थितियों में ऋण कर्जदार के लिए उधारी की समस्या उत्पन्न कर सकता है। उदाहरण स्वरूप एक व्यक्ति ऋणी ऋण का भुगतान नहीं कर पाता है तो उसे अपनी संपत्ति या भूमि बेचनी पड़ती है। यदि वह और अधिक रिंग लेता है तो वह उधारी के पंजों में फस जाता है। इसलिए ऋणी की स्थिति पहले से भी बड़ी हो सकती है।
2.मुद्रा आवश्यकताओं के दोहरे संयोग की समस्या को किस तरह सुलझाती है? अपनी ओर से उदाहरण देकर समझाइए ।
उत्तर- मुद्रा आवश्यकताओं के दोहरे सहयोग की समस्या को निम्नलिखित तरह समझाती है। मुद्रा विनियम प्रणाली वस्तु विनियम प्रणाली से अधिक उत्तम है। आवश्यकताओं के दोहरे सनियो की समस्या वस्तु विनियम की सबसे कठिन समस्या है। यदि दो व्यक्तियों की आवश्यकता संबंधी वस्तुएँ नहीं मिल पाती है तो विनिमय होना असंभव है। उदाहरणार्थ आदि किसी जूती निर्माता को गेहूँ की आवश्यकता है तो उसे पहले ऐसा गेहूँ वाला ढूँढना होगा जिसके पास ना केवल गेहूँ हो बल्कि उसे जूते भी चाहिए। वह मुद्रा का उपयोग करके इस समस्या का तुरंत समाधान किया जा सकता है। उदाहरण स्वरूप यदि किसी व्यक्ति के पास अतिरेक जूते हैं एवं वह इसके बदले में गेहूँ या कोई अन्य वस्तु चाहता है तो वह बाजार में जूते बेंचकर प्राप्त मुद्रा से कोई भी अपनी आवश्यकता संबंधी वस्तु खरीद सकता है।
- अतिरिक्त मुद्रा वाले लोगों और ज़रूरतमंद लोगों के बीच बैंक किस तरह मध्यस्थता करते हैं?
उत्तर- अतिरिक्त मुद्रा वाले लोगों और जरूरतमंद लोगों के बीच बैंक निम्नलिखित तरह से मध्यस्थता करते हैं। बैंक अतिरिक्त मुद्रा वाले लोगों से मुद्रा प्राप्त करके उनका खाता खुलता है। तथा आवश्यकता पड़ने पर भुगतान करता है। इसके अतिरिक्त बैंक जरूरतमंद लोगों को उनकी सहायता करने के लिए कम ब्याज दर पर ऋण देता है।
- 10 रुपये के नोट को देखिए। इसके ऊपर क्या लिखा है? क्या आप इस कथन की व्याख्या कर सकते हैं?
उत्तर- ₹10 के नोट पर भारतीय रिजर्व बैंक लिखा होता है। इसके अतिरिक्त यह कथन में धारक को ₹10 अदा करने का वचन देता हूँ भी होता है। इस कथन का तात्पर्य है कि भारतीय रिजर्व बैंक को केंद्रीय सरकार की ओर से मुद्रा जारी करने का अधिकार है। वह इस ₹10 के नोट की धारक के प्रत्येक स्थिति में ₹10 देने का वादा करता है।
- हमें भारत में ऋण के औपचारिक स्रोतों को बढ़ाने की क्यों ज़रूरत है?
उत्तर- भारत के औपचारिक क्षेत्र के दो प्रमुख स्रोत (i) बैंक एवं (ii) सरकारी समितियाँ हैं। अग्र लिखित कारणों से हमें भारत में ऋण के औपचारिक स्रोतों को बढ़ाने की जरूरत है।
(i) कम ब्याज दर पर बैंक ऋण, ऋणयों की आय में वृद्धि करता है तथा ऋणी सरलता से इसका भुगतान कर सकते हैं। इन सुविधाओं के कारण ऋणी और ऋण भी ले सकता है।
(ii) प्रत्येक व्यक्ति बैंक से कम ब्याज दर पर ऋण प्राप्त कर सकता है।
(iii) ऋण के औपचारिक स्त्रोत से लोग महाजन व्यापारी आदि से बच सकते हैं। जो कि लोगों को सदैव अपने पंजों में कसने का अवसर ढूँढ़ते हैं।
(iv) ऋण का भुगतान अगले 3 वर्षों में किया जा सकता है।
- गरीबों के लिए स्वयं सहायता समूहों के संगठनों के पीछे मूल विचार क्या हैं? अपने शब्दों में व्याख्या कीजिए ।
उत्तर- गरीबों के लिए स्वयं सहायता समूह के संगठनों के पीछे मूल विचार यह है कि लोग 15 से 20 सदस्यों के समूह के रूप में नियमित रूप से मिले तथा बचत करें। बचत की राशि 5 से ₹100 तक हो सकती है। यह समूह इन सदस्यों को थोड़ा ऋण देकर अपने समूह के सदस्यों की जरूरतों को पूरा करता है।
- क्या कारण हैं कि बैंक कुछ कर्ज़दारों को कर्ज़ देने के लिए तैयार नहीं होते ?
उत्तर- निम्नलिखित कारणों से बैंक कुछ कर्जदारों को कर्ज देने के लिए तैयार नहीं होते हैं।
(i) कुछ लोग पहले से ही उधारी के पंजों में जकड़े होते हैं, इसलिए बैंक उन लोगों को और ऋण देना नहीं चाहता है।
(ii) कुछ लोगों के पास बैंक में गिरवी रखने के लिए कोई संपत्ति नहीं होती है।
Mudra or sakh class 10
- भारतीय रिज़र्व बैंक अन्य बैंकों की गतिविधियों पर किस तरह नज़र रखता है? यह ज़रूरी क्यों है?
उत्तर- भारतीय रिजर्व बैंक ने बैंकों की गतिविधियों पर बैंक दर में परिवर्तन करके तथा खुले बाजार की प्रक्रिया द्वारा नजर रखता है। यह जरूरी है क्योंकि यदि बैंकों की गतिविधियों पर नजर रखी नहीं जाती है तथा उन्हें जिस प्रकार भी चाहते हैं कार्य करने की छूट दी जाए तो अर्थव्यवस्था की कभी भी उन्नति नहीं हो सकती है। इसके कारण स्थिति तथा स्थिति की समस्या भी उत्पन्न हो सकती है।
- विकास में ऋण की भूमिका का विश्लेषण कीजिए।
उत्तर- विकास में ऋण की भूमिका का विश्लेषण निम्नलिखित है सभी व्यावसायिक क्रियाओं का विकास एक अच्छी ऋण प्रणाली पर निर्भर करता है। व्यवस्थाओं की कच्चे माल कार्यशील पूंजी आदि से संबंधित आवश्यकता को संतुष्ट करता है। यह व्यवसाय के लाभ अर्जित करने की क्षमता में वृद्धि करता है, इसी कारण सभी लोगों की आय में वृद्धि होती है। जिससे राष्ट्रीय आय में भी साथ-साथ वृद्धि होती है जो कि विकास का सूचक है।
- मानव को एक छोटा व्यवसाय करने के लिये ऋण की ज़रूरत है। मानव किस आधार पर यह निश्चित करेगा कि उसे यह ऋण बैंक से लेना चाहिये या साहूकार से? चर्चा कीजिए।
उत्तर- मानव निम्नलिखित आधार पर यह निश्चित करेगा कि उसे ऋण बैंक से लेना चाहिए या साहूकार से।
(i) यदि मानव कम ब्याज दर पर ऋण चाहता है, तो उसे बैंक से ऋण लेना चाहिए ना कि साहूकार से।
(ii) यदि मानव के पास गिरवी रखने के लिए कोई संपत्ति है, तो वह बैंक से ऋण ले सकता है। अन्यथा उसे सरकार के पास जाना पड़ेगा।
(iii) यदि मानव लघु अवधि के लिए चाहता है, तो उसे ऋण साहुकार से लेना चाहिए एवं यदि वह ऋण दीर्घ अवधि जैसे तीन से चार वर्षो के लिए चाहता है तो उसे बैंक से ऋण लेना चाहिए।
- भारत में 80 प्रतिशत किसान छोटे किसान हैं, जिन्हें खेती करने के लिए ऋण की ज़रूरत होती है।
(क) बैंक छोटे किसानों को ऋण देने से क्यों हिचकिचा सकते हैं?
(ख) वे दूसरे स्रोत कौन हैं, जिनसे छोटे किसान कर्ज ले सकते हैं।
(ग) उदाहरण देकर स्पष्ट कीजिए कि किस तरह ऋण की शर्तें छोटे किसानों के प्रतिकूल हो सकती हैं।
(घ) सुझाव दीजिए कि किस तरह छोटे किसानों को सस्ता ऋण उपलब्ध कराया जा सकता है।
उत्तर- (क) बैंक छोटे किसानों को ऋण देने से इसलिए हिचकीचाते हैं। क्योंकि उनके पास गिरवी रखने के लिए कोई संपत्ति नहीं होती है। तथा उनमें से कुछ किसान इस स्थिति में नहीं होते हैं कि ऋण की अदायगी कर सके इसके अतिरिक्त कुछ किसान पहले से ही ऋण के पंजों में कसे होते हैं, इसलिए कभी भी बैंक उन्हें अतिरिक्त ऋण देने के लिए तैयार नहीं होते हैं।
(ख) साहूकार नियोक्ता स्वयं सहायता समूह एवं जमींदार आदि वे अन्य स्रोत हैं, जिनसे छोटे किसान ऋण ले सकते हैं।
(ग) उदाहरण स्वरूप यदि कोई व्यक्ति अपनी जमीन को गिरवी रख कर जमींदार से ऋण लेता है तथा समय समाप्त होने तक ऋण का भुगतान नहीं कर पाता है, तो इस स्थिति में जमींदार उसकी जमीन को बेचकर ऋण की राशि का भुगतान प्राप्त कर सकता है।
(घ) स्वयं सेवी समूह एवं बैंकों द्वारा छोटी किसानों को सस्ता ऋण उपलब्ध कराया जा सकता है। क्योंकि इनसे प्राप्त होने वाला है ऋण अन्य स्रोतों की तुलना में कम ब्याज दर पर होता है, जिसका 3 या 4 वर्षों से सरलता से भुगतान किया जा सकता है।
Mudra or sakh class 10
- रिक्त स्थानों की पूर्ति करें
(क) ……………. परिवारों की ऋण की अधिकांश ज़रूरतें अनौपचारिक स्रोतों से पूरी होती है।
(ख) ………………….. ऋण की लागत ऋण का बोझ बढ़ाती है।
(ग) ………………….. केन्द्रीय सरकार की ओर से करेंसी नोट जारी करता है।
(घ) बैंक …………………. पर देने वाले ब्याज से ऋण पर अधिक ब्याज लेते हैं।
(ङ)…………………….. सम्पत्ति है जिसका मालिक कर्ज़दार होता है जिसे वह ऋण लेने के लिए गारंटी के रूप में इस्तेमाल करता है, जब तक ऋण चुकता नहीं हो जाता ।
उत्तर- (i) गरीब
(ii) उच्चतम
(iii) भारतीय रिजर्व बैंक
(iv) जमा राशि
(v) सहायक
- सही उत्तर का चयन करें-
(क) स्वयं सहायता समूह में बचत और ऋण संबंधित अधिकतर निर्णय लिए जाते हैं
- बैंक द्वारा
- सदस्यों द्वारा
- गैर सदस्यों द्वारा
(ख) ऋण के औपचारिक स्त्रोतों में शामिल नहीं है-
- बैंक
- सहकारी
- नियोक्ता
उत्तर- (i) सदस्यों द्वारा
(ii) नियोक्ता
Mudra or sakh class 10
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