From the Diary of Anne Frank in Hindi Explanation, This page has the line by line explanation of the ncert class 10th English first flight chapter four From the Diary of Anne Frank in Hindi. From the Diary of Anne Frank in Hindi Explanation
4. From the Diary of Anne Frank (ऐनी फ्रैंक की डायरी से)
BEFORE YOU READ
Anneliese Marie ‘Anne’ Frank (12 June, 1929– February / March, 1945) was a German born Jewish girl who wrote while in hiding with her family and four friends in Amsterdam during the German occupation of the Netherlands in World War II. Her family had moved to Amsterdam after the Nazis gained power in Germany but were trapped when the Nazi occupation extended into the Netherlands. As persecutions against the Jewish population increased, the family went into hiding in July 1942 in hidden rooms in her father Otto Frank’s office building. After two years in hiding, the group was betrayed and transported to the concentration camp system where Anne died of typhus in Bergen–Belsen within days of her sister, Margot Frank. Her father, Otto, the only survivor of the group, returned to Amsterdam after the war ended, to find that her diary had been saved. Convinced that it was a unique record, he took action to have it published in English under the name The Diary of a Young Girl.
From the Diary of Anne Frank in Hindi Explanation
ऐनिलिज मैरी ‘ऐनी फ्रैंक’ (जून 12, 1929 – फरवरी / मार्च 1945 ), जर्मनी में पैदा हुई एक यहूदी लड़की थी, जिसने द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान अपने परिवार और मित्रों के साथ एमस्टर्डम में छिपे रहकर लिखा, जब नीदरलैंड पर जर्मनी का आधिपत्य था। उसका परिवार एमस्टर्डम चला गया था, जब जर्मनी में नाजी सत्ता में आए, परन्तु जब नाजियों का कब्जा नीदरलैंड तक पहुँचा, तो वे फंस गए। जब यहूदी जनता के प्रति उत्पीड़न बढ़ा, तो यह परिवार जुलाई 1942 में अपने पिता ओटो फ्रैंक के दफ्तर के कमरों में जा छिपा । परन्तु दो वर्ष बाद उनसे धोखा हुआ और उन्हें सामान्य केन्द्र भेज दिया गया। जहाँ बर्गन बेलसन में अपनी बहन मारगोट फ्रैंक के कुछ दिन पश्चात् ऐनी की तंदिक ज्वर से मृत्यु हो गई। उसके पिता, ओटो, जो उस दल में अकेले बचे थे, युद्ध खत्म होने के बाद एमस्टर्डम लौटे और ऐनी की सुरक्षित डायरी उन्हें मिली। यह विश्वास होने पर कि यह एक अनोखा संग्रह है, उन्होंने इसे, ‘एक छोटी लड़की की डायरी’ के नाम से अंग्रेज़ी में छपवाया।
The diary was given to Anne Frank for her thirteenth birthday and chronicles the events of her life from 12 June 1942 until its final entry of 1 August, 1944. It was eventually translated from its original Dutch into many languages and became one of the world’s most widely read books. There have also been several films, television and theatrical productions, and even an opera, based on the diary. Described as the work of a mature and insightful mind, the diary provides an intimate examination of daily life under Nazi occupation. Anne Frank has become one of the most renowned and discussed of the Holocaust victims.
यह डायरी ऐनी को उसके तेरहवें जन्मदिवस पर दी गई थी और इसमें 12 जून, 1942 से लेकर उसके जीवन की सभी घटनाओं का वृतान्त 1 अगस्त, 1944 की उसकी अन्तिम प्रविष्टि तक है। बाद में मूल डच भाषा में कई भाषाओं में इसका अनुवाद किया गया और यह विश्व में सर्वाधिक पढ़ी जाने वाली पुस्तक बन गई। इस डायरी पर आधारित कई फिल्में, टेलीविज़न और थियेटर के लिए प्रस्तुति बनी। यह डायरी एक परिपक्व दिमाग के सूक्ष्म ज्ञान का काम है जो नाजी आधिपत्य के अन्तर्गत दिनचर्या के बारे में बताती है। ऐनी फ्रैंक सर्वाधिक विवादित, चर्चित पीड़ितों में से एक हो गई है।
Writing in a diary is a really strange experience for someone like me. Not only because I’ve never written anything before, but also because it seems to me that later on neither I nor anyone else will be interested in the musings of a thirteen-year old school girl. Oh well, it doesn’t matter. I feel like writing, and I have an even greater need to get all kinds of things off my chest.
डायरी लिखना मेरी जैसी लड़की के लिए सचमुच विचित्र अनुभव है। केवल इस कारण नहीं कि मैंने इससे पूर्व कभी डायरी नहीं लिखी वरन् इस कारण भी कि मुझे लगता है कि बाद में न मैं और न ही कोई अन्य व्यक्ति एक 13 वर्षीय लड़की के विचार में रुचि लेगा। खैर, इससे कोई अन्तर नहीं पड़ता। मुझे लिखने की इच्छा हो रही है और मुझे जरूरत महसूस हो रही है कि मैं सभी प्रकार के विचारों को अपने हृदय से बाहर निकाल दूँ।
‘Paper has more patience than people.’ I thought of this saying on one of those days when I was feeling a little depressed and was sitting at home with my chin in my hands, bored and listless, wondering whether to stay in or go out. I finally stayed where I was, brooding: Yes, paper does have more patience, and since I’m not planning to let anyone else read this stiff–backed notebook grandly referred to as a ‘diary’, unless I should ever find a real friend, it probably won’t make a bit of difference.
From the Diary of Anne Frank in Hindi Explanation
‘कागज में व्यक्तियों की अपेक्षा अधिक धैर्य होता है।’ मुझे यह बात उस समय याद आई जब मैं कुछ उदास हो रही थी और अपने हाथों में ठोढ़ी रखे घर में बैठी थी, ऊबती हुई और निरुत्साहित, समझ नहीं पा रही थी कि घर पर बैठूँ अथवा बाहर चली जाऊँ, अंत में मैं वहीं बैठी रही जहाँ बैठी थी, विचारमग्न। हाँ, कागज अधिक धैर्यवान होता है और चूँकि मैं किसी भी व्यक्ति को अपनी इस सख्त जिल्द वाली नोटबुक, जिसे मैं शान से डायरी कह रही हूँ, पढ़ने नहीं दूँगी जब तक कि मुझे सच्ची सहेली नहीं मिल जाती, डायरी लिखने से कोई फर्क नहीं पड़ेगा।
Now I’m back to the point that prompted me to keep a diary in the first place: I don’t have a friend.
Let me put it more clearly, since no one will believe that a thirteen–year old girl is completely alone in the world. And I’m not. I have loving parents and a sixteen-year old sister, and there are about thirty people I can call friends. I have a family, loving aunts and a good home. No, on the surface I seem to have everything, except my one true friend. All I think about when I’m with friends is having a good time. I can’t bring myself to talk about anything but ordinary everyday things. We don’t seem to be able to get any closer, and that’s the problem. Maybe it’s my fault that we don’t confide in each other. In any case, that’s just how things are, and unfortunately they’re not liable to change. This is why I’ve started the diary.
अब मैं वापस अपनी बात पर लौटती हूँ कि सर्वप्रथम डायरी लिखने को मुझे किसने उकसाया; मेरा कोई मित्र नहीं है।
लो, मैं इस बात को और स्पष्ट कर दूँ, क्योंकि कोई भी व्यक्ति इस बात पर विश्वास नहीं करेगा कि 13 वर्षीय लड़की इस संसार में बिल्कुल अकेली है, और मैं अकेली हूँ भी नहीं। मेरे प्रिय माता-पिता हैं, एक 16 वर्षीय बहन है और करीब 30 लोग ऐसे हैं जिन्हें मैं मित्र कह सकती हूँ। मेरा एक परिवार है, जिसमें प्यार देने वाली चाचियाँ हैं और एक अच्छा मेरा घर है। नहीं, सतही दृष्टि से मेरे पास सब कुछ है, केवल कोई सच्चा मित्र नहीं है। जब मैं मित्रों के साथ रहती हूँ तो मेरे मन में एक ही बात होती है कि मौज मारो। मैं उनसे साधारण बात ही कर पाती हूँ। हम लोग परस्पर अधिक निकट नहीं हो पाते और यही मेरी समस्या है। हो सकता है दोष मेरा ही हो कि हम एक-दूसरे को अपने मन के भेद नहीं बता पाते। कुछ भी हो, स्थिति यही है, और दुर्भाग्य से वे लोग बदल नहीं सकते। इसी कारण से मैंने डायरी लिखना शुरू किया है।
From the Diary of Anne Frank in Hindi Explanation
To enhance the image of this long-awaited friend in my imagination, I don’t want to jot down the facts in this diary the way most people would do, but I want the diary to be my friend, and I’m going to call this friend ‘Kitty’.
इस चिरप्रतिक्षित मित्र की छवि को अपनी कल्पना में बढ़ाने के लिए मैं इस डायरी में वह बातें उस तरीके से नहीं लिखना चाहती जिस तरीके से अधिकांश लोग लिखते हैं, वरन् मैं चाहती हूँ कि यह डायरी मेरी मित्र बनी रहे, और मैं अब इस सहेली को आगे से ‘किट्टी’ कहा करूँगी।
Since no one would understand a word of my stories to Kitty if I were to plunge right in, I’d better provide a brief sketch of my life, much as I dislike doing so.
My father, the most adorable father I’ve ever seen, didn’t marry my mother until he was thirty-six and she was twenty-five. My sister, Margot, was born in Frankfurt in Germany in 1926. I was born on 12 June 1929. I lived in Frankfurt until I was four. My father emigrated to Holland in 1933. My mother, Edith Hollander Frank, went with him to Holland in September, while Margot and I were sent to Aachen to stay with our grandmother. Margot went to Holland in December, and I followed in February, when I was plunked down on the table as a birthday present for Margot.
चूँकि कोई भी व्यक्ति किट्टी को सुनाई गई मेरी कहानी को समझ नहीं पायेगा, यदि मैं अपनी कहानी बिना भूमिका के लिखने लगूँ, अतः बेहतर होगा कि मैं अपना संक्षिप्त जीवन परिचय दूँ यद्यपि ऐसा करना मुझे रुचिकर नहीं लगता।
मेरे पिता बहुत नेक हैं, मेरी माँ से जब उन्होंने विवाह किया तो वह 36 वर्ष के थे और मेरी माँ 25 वर्ष की थीं। मेरी बहन मारगॉट का जन्म फ्रैंकफर्ट, जर्मनी में 1926 में हुआ। मेरा अपना जन्म 12 जून 1929 को हुआ, चार वर्ष की आयु तक मैं फ्रैंकफर्ट में ही रही। मेरे पिता 1933 में हॉलैंड चले गए। मेरी माँ एडिथ हॉलंडर फ्रैक सितम्बर में उनके साथ चली गई जबकि मारगॉट तथा मुझे अचेन में अपनी दादी के पास रहने के लिए भेज दिया गया। मारगॉट दिसम्बर में हॉलैंड चली गई और फरवरी में मैं भी वहाँ पहुँच गई जबकि मुझे मारगॉट के जन्मदिन पर उपहार स्वरूप मेज पर रख दिया गया।
I started right away at the Montessori nursery school. I stayed there until I was six, at which time I started in the first form. In the sixth form my teacher was Mrs. Kuperus, the headmistress. At the end of the year we were both in tears as we said a heartbreaking farewell.
मैंने मानटेसरी नर्सरी स्कूल में पढ़ना आरंभ किया। मैं छ: वर्ष की आयु तक वहाँ रही जहाँ मैंने प्रथम श्रेणी से आरम्भ किया। छठे फोरम में मेरी अध्यापिका श्रीमती कोपरिस थीं, जो मुख्याध्यापिका थीं। वर्ष के अंत में हम दोनों के नेत्र अश्रुपूर्ण थे, क्योंकि हमारी विदाई हृदय विदारक थी।
In the summer of 1941 Grandma fell ill and had to have an operation, so my birthday passed with little celebration.
Grandma died in January 1942. No one knows how often I think of her and still love her. This birthday celebration in 1942 was intended to make up for the other, and Grandma’s candle was lit along with the rest.
The four of us are still doing well, and that brings me to the present date of 20 June 1942, and the solemn dedication of my diary.
1941 की ग्रीष्म ऋतु में मेरी दादी बीमार पड़ गईं और ऑपरेशन किया गया, इस कारण मेरा जन्म दिवस बिना समारोह के गुजर गया।
दादी माँ 1942 जनवरी में चल बसीं। कोई नहीं जानता मुझे उनकी कितनी याद आती है और मैं अभी भी उनसे प्यार करती हूँ, 1942 में मेरा जन्मदिवस यह सोचकर मनाया गया कि 1941 की कसर पूरी कर दे, और अन्य लोगों के साथ मेरी दादी की भी मोमबत्ती जलाई गयी।
हम चारों अभी अच्छे चल रहे हैं और इससे 20 जून 1942 की तिथि ताजा हो जाती है, जो मेरी डायरी को पूर्णतया समर्पित है।
Saturday, 20 June 1942
Dearest Kitty,
Our entire class is quaking in its boots. The reason, of course is the forthcoming meeting in which the teachers decide who’ll move up to the next form and who’ll be kept back. Half the class is making bets. C.N. and I laugh ourselves silly at the two boys behind us, C.N. and Jacques, who have staked their entire holiday savings on their bet. From morning to night, It’s “you’re going to pass”. “No, I’m not”, “Yes, you are”, “No, I’m not”. Even G’s pleading glances and my angry outbursts can’t calm them down. If you ask me, there are so many dummies that about a quarter of the class should be kept back, but teachers are the most unpredictable creatures on earth.
शनिवार, 20 जून 1942
प्रियतम किट्टी,
सारी कक्षा भयाक्रांत है। कारण है वह मीटिंग जिसमें शिक्षक यह निर्णय लेंगे कि किसे अगली कक्षा में भेजा जाए और किसे रोक लिया जाए। आधी कक्षा शर्त लगा रही है। सी. एन. और मैं पीछे बैठे दो मूर्ख छात्रों पर हँस रहे थे, सी. एन. तथा जैक्स दोनों ने सारी छुट्टियों में जो बचत की थी उसे दाँव पर लगा दिया था। प्रातः से शाम तक तुम ही ‘जो पास हो रहे हो’, ‘नहीं मैं नहीं हूँ’, ‘हाँ तुम ही हो’, ‘नहीं मैं नहीं हूँ’। यहाँ तक कि जी. की अनुरोध दृष्टि तथा मेरी क्रुद्ध डाँट भी उन दोनों को शांत नहीं करा सकी । यदि तुम मुझसे पूछो तो मैं कहूँगी कि कक्षा में इतने मंद बुद्धि छात्र हैं कि उनमें से एक–चौथाई को इसी कक्षा में रोक लिया जाना चाहिए, पर शिक्षक पृथ्वी पर ऐसे प्राणी हैं जिनके बारे में पहले से कुछ भी नहीं कहा जा सकता।
From the Diary of Anne Frank in Hindi Explanation
I’m not so worried about my girlfriends and myself. We’ll make it. The only subject I’m not sure about is maths. Anyway, all we can do is wait. Until then, we keep telling each other not to lose heart.
मुझे अपनी सहेलियों तथा अपनी इतनी चिन्ता नहीं। हम लोग तो पास हो ही जाएँगे, केवल एक ही विषय में मुझे संदेह है, वह है गणित । खैर, हम अब प्रतीक्षा ही कर सकते हैं। तब तक हम एक दूसरे को ढाढस बँधाते रहते हैं।
I get along pretty well with all my teachers. There are nine of them, seven men and two women. Mr. Keesing, the old fogey who teaches maths, was annoyed with me for ages because I talked so much. After several warnings, he assigned me extra homework. An essay on the subject, ‘A Chatterbox’. A chatterbox —what can you write about that? I’d worry about that later, I decided. I jotted down the title in my notebook, tucked it in my bag and tried to keep quiet.
मेरी सब शिक्षकों के साथ पट जाती है। कुल 9 शिक्षक हैं, 7 पुरुष तथा 2 महिलाएँ। वृद्ध, मि. कीसिंग नामक दकियानूसी शिक्षक, जो हमें गणित पढ़ाते हैं, मुझसे बहुत समय से नाराज थे क्योंकि मैं बातें जो बहुत करती हूँ। अनेक बार चेतावनी देने के पश्चात् उन्होंने मुझे अतिरिक्त गृह कार्य दिया। निबंध का शीर्षक था ‘निरन्तर बोलने वाला’ भला इस विषय पर क्या लिखा जा सकता था? मैं इसकी चिन्ता बाद में करूँगी, मैंने सोच लिया। मैंने यह विषय अपनी नोटबुक में लिख लिया और उसे बैग में रखकर शांत रहने का प्रयास किया।
That evening, after I’d finished the rest of my homework, the note about the essay caught my eye. I began thinking about the subject while chewing the tip of my fountain pen. Anyone could ramble on and leave big spaces between the words, but the trick was to come up with convincing arguments to prove the necessity of talking. I thought and thought, and suddenly I had an idea. I wrote the three pages Mr. Keesing had assigned me and was satisfied. I argued that talking is a student’s trait and that I would do my best to keep it under control, but that I would never be able to cure myself of the habit since my mother talked as much as I did if not more, and that there’s not much you can do about inherited traits.
उस शाम जब मैंने स्कूल का शेष सारा काम समाप्त कर लिया तो मेरी दृष्टि उस निबंध के विषय पर पड़ी। मैं उस विषय के संबंध में सोचने लगी और पेन के सिरे को दाँतों से कुतरती रही। कोई भी व्यक्ति असंवाद बातें करते हुए शब्दों के बीच में दूरियाँ रख सकता था, पर बात तो यह थी कि मैं बातें करने की जरूरत के पक्ष में कायल करने वाले तर्क दूँ। मैंने बहुत सोचा और सहसा मेरे मन में एक विचार आया। मैंने तर्क दिया कि बातें करना तो छात्रों का एक गुण होता है और मैं इसे नियंत्रण में रखने का प्रयास करूँगी, पर मैं इस आदत को पूरी तरह छोड़ नहीं सकती, चूँकि मेरी माँ भी मेरी तरह ही बातूनी थी, यदि अधिक नहीं थी, और विरासत में मिले गुणों को अधिक बदला नहीं जा सकता।
Mr. Keesing had a good laugh at my arguments, but when I proceeded to talk my way through the next lesson, he assigned me a second essay. This time it was supposed to be on ‘An Incorrigible Chatterbox. I handed it in, and Mr. Keesing had nothing to complain about for two whole lessons. However, during the third lesson he’d finally had enough. “Anne Frank, as punishment for talking in class, write an essay entitled-‘Quack, Quack, Quack, Said Mistress Chatterbox”.
मि. कीसिंग मेरे तर्कों को पढ़कर बहुत हँसे, पर जब हम लोग अगले पाठ की ओर बढ़े तो उन्होंने मुझे एक अन्य निबंध का विषय दे दिया। इस बार विषय था ‘एक बातूनी लड़की जो सुधर नहीं सकती।’ मैंने लिखकर दे दिया और मि. कीसिंग ने दो पाठ पढ़ाने तक कोई शिकायत नहीं की। पर तीसरे पाठ के दौरान वह स्वयं को रोक नहीं सके। एने फ्रैंक, कक्षा में बकबक करने के दण्ड स्वरूप शीर्षक पर एक निबंध लिखा ‘काँ, काँ, काँ, मिसेज बकवासी ने कहा।’
The class roared. I had to laugh too, though I’d nearly exhausted my ingenuity on the topic of chatterboxes. It was time to come up with something else, something original. My friend, Sanne, who’s good at poetry, offered to help me write the essay from beginning to end in verse and I jumped for joy. Mr. Keesing was trying to play a joke on me with this ridiculous subject, but I’d make sure the joke was on him.
कक्षा में सभी छात्र ठहाका लगाकर हँस पड़े, मुझे भी हँसी आ गयी, यद्यपि मैं ‘बकबक’ विषय पर अपना सारा कौशल समाप्त कर चुकी थी। अब समय था कि मैं कुछ अन्य नयी बात कहूँ, कुछ मौलिक बात। मेरी सहेली सैन जो कविता लिखने में माहिर है, उसने मेरा निबंध आदि से अंत तक कविता के रूप में लिखने में सहायता देने की पेशकश की, मैं प्रसन्नता से उछल पड़ी। मि. कीसिंग मेरे साथ इस हास्यास्पद विषय को लेकर मजाक कर रहे थे, पर मैं ऐसी बात कहूँगी कि वह हँसी के पात्र बन जाए।
I finished my poem, and it was beautiful! It was about a mother duck and a father swan with three baby ducklings who were bitten to death by the father because they quacked too much. Luckily, Mr. Keesing took the joke the right way. He read the poem to the class, adding his own comments, and to several other classes as well. Since then I’ve been allowed to talk and haven’t been assigned any extra homework. On the contrary, Mr. Keesing’s always making jokes these days.
Yours, Anne
[Extracted from the Diary of a Young girl with slight adaptation]
मैंने कविता पूरी कर ली, सुन्दर बनी थी। यह एक माँ बत्तख तथा पिता हंस के बारे में थी जिनके तीन बच्चे थे, इन तीन बच्चों के अधिक टर्राने के कारण पिता हंस ने उन्हें काट–काट कर मार डाला। सौभाग्य से मि. कीसिंग ने इस मजाक को सही अर्थ में लिया। उसने यह कविता कक्षा में पढ़कर सुनाई, उस पर अपनी टिप्पणी भी दी, और दूसरी कक्षाओं में भी पढ़कर सुनाई, उस दिन के पश्चात् मुझे बातें करने की छूट दे दी गयी है और मुझे कोई अतिरिक्त स्कूल का काम नहीं दिया गया। इसके अतिरिक्त मि. कीसिंग खुद भी उस दिन से सदा हँसी मजाक करते रहते हैं।
तुम्हारी, ऐन
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NCERT Class 10th Notes in Hindi
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