Bholi in Hindi Explanation, This page has the line by line explanation of the ncert class 10th English Footprints Without feet chapter nine Bholi in Hindi. Bholiin Hindi Explanation
9. Bholi (भोली)
Her name was Sulekha, but since her childhood everyone had been calling her Bholi, the simpleton.
उसका नाम सुलेखा था, लेकिन बचपन से ही भोलेपन के कारण सब उसे भोली कहते थे।
She was the fourth daughter of Numberdar Ramlal. When she was ten months old, she had fallen off the cot on her head and perhaps it had damaged some part of her brain. That was why she remained a backward child and came to be known as Bholi, the simpleton.
वह नम्बरदार रामलाल की चौथी लड़की थी। जब वह दस माह की थी तो सिर के बल चारपाई से गिर गयी थी और शायद इसी कारण से उसके दिमाग का कुछ हिस्सा घायल हो गया था। इसीलिए वह हमेशा पिछड़ी बच्ची रही और उसका नाम भोली, सीधी–सादी पड़ गया।
At birth, the child was very fair and pretty. But when she was two years old, she had an attack of small–pox. Only the eyes were saved, but the entire body was permanently disfigured by deep black pock–marks. Little Sulekha could not speak till she was five, and when at last she learnt to speak, she stammered. The other children often made fun of her and mimicked her. As a result, she talked very little.
जन्म के समय वह बहुत गोरी और सुन्दर थी। लेकिन जब वह दो वर्ष की हुई तो उसे चेचक हो गयी। आँखों को छोड़कर उसके पूरे शरीर पर चेचक के काले दाग हो गये। छोटी–सी सुलेखा पाँच वर्ष की आयु तक बोल नहीं सकी और अन्ततः जब उसने बोलना सीखा तो वह हकलाती थी। दूसरे बच्चे अक्सर उसका मजाक उड़ाया करते और उसकी नकल बनाते। परिणामस्वरूप, वह बहुत ही कम बोलती थी।
Ramlal had seven children – three sons and four daughters, and the youngest of them was Bholi. It was a prosperous farmer’s household and there was plenty to eat and drink. All the children except Bholi were healthy and strong. The sons had been sent to the city to study in schools and later in colleges. Of the daughters, Radha, the eldest, had already been married. The second daughter Mangla’s marriage had also been settled, and when that was done, Ramlal would think of the third, Champa. They were good–looking, healthy girls, and it was not difficult to find bridegrooms for them.
रामलाल के सात बच्चे थे तीन लड़के और चार लड़कियाँ । और भोली उन सबमें छोटी थी। वह एक समृद्ध किसान का घर था और खाने–पीने को खूब था। भोली को छोड़कर सभी बच्चे स्वस्थ व शक्तिशाली थे। लड़कों को शहर में पढ़ने
के लिये पहले स्कूल और फिर कॉलेज भेजा गया। लड़कियों में सबसे बड़ी लड़की राधा का विवाह हो चुका था। दूसरी बेटी मंगला की शादी भी पक्की हो गयी थी, और उसके हो जाने पर रामलाल ने तीसरी चम्पा के बारे में सोचा। वे देखने में सुन्दर व स्वस्थ लड़कियाँ थी और उनके लिये वर ढूँढ़ना कठिन काम न था।
But Ramlal was worried about Bholi. She had neither good looks nor intelligence.
लेकिन रामलाल को भोली की चिन्ता थी। वह न तो सुन्दर थी और न ही बुद्धिमान ।
Bholi was seven years old when Mangla was married. The same year a primary school for girls was opened in their village. The Tehsildar sahib came to perform its opening ceremony. He said to Ramlal, “As a revenue official you are the representative of the government in the village and so you must set an example to the villagers. You must send your daughters to school.”
भोली सात वर्ष की थी जब मंगला का विवाह हुआ। उसी वर्ष उनके गाँव में लड़कियों का प्राथमिक विद्यालय खुला। तहसीलदार साहब उस विद्यालय का उद्घाटन करने आये। उन्होंने रामलाल से कहा, “एक कर अधिकारी होने के कारण तुम गाँव में सरकार के प्रतिनिधि हो और इसलिये तुम्हें गाँव वालों के लिये एक उदाहरण प्रस्तुत करना चाहिये। तुम्हें अपनी लड़कियों को विद्यालय भेजना चाहिये।”
That night when Ramlal consulted his wife, she cried, “Are you crazy ? If girls go to school, who will marry them?”
उस रात रामलाल ने अपनी पत्नी से सलाह की, वह चिल्लाई, “क्या तुम पागल हो गये हो, यदि लड़कियाँ स्कूल जायेंगी तो उनसे विवाह कौन करेगा ?”
But Ramlal had not the courage to disobey the Tehsildar. At last his wife said, “I will tell you what to do. Send Bholi to school. As it is, there is little chance of her getting married, with her ugly face and lack of sense. Let the teachers at school worry about her.”
लेकिन रामलाल में तहसीलदार का आदेश न मानने का साहस नहीं था। अन्त में उसकी पत्नी ने कहा, “मैं बताती हूँ कि तुम क्या करो। भोली को स्कूल भेज दो। उसके विवाह की सम्भावना बहुत कम है क्योंकि वह बदसूरत और नासमझ है । इसलिये स्कूल में अध्यापकों को ही उसकी चिन्ता करने दो।”
The next day Ramlal caught Bholi by the hand and said, “Come with me. I will take you to school.” Bholi was frightened. She did not know what a school was like. She remembered how a few days ago their old cow, Lakshmi, had been turned out of the house and sold.
अगले दिन रामलाल ने भोली का हाथ पकड़ा और कहा, “मेरे साथ आओ। मैं तुम्हें स्कूल ले जाऊँगा ।” भोली डर गयी। उसे नहीं पता था कि स्कूल कैसा होता है । उसे याद था कि कुछ दिन पहले किस प्रकार उनकी बूढ़ी गाय, लक्ष्मी को घर से बाहर निकाला गया था और बेच दिया गया था।
“N–n–n–n NO, no–no–no, ” she shouted in terror and pulled her hand away from her father’s grip.
“न–न–न नहीं, नहीं–नहीं–नहीं, ” वह डर से चिल्लाई और पिता की पकड़ से अपना हाथ खींच लिया।
“What’s the matter with you, you fool?” shouted Ramlal. “I am only taking you to school.” Then he told his wife, “Let her wear some decent clothes today, or else what will the teachers and the other schoolgirls think of us when they see her?”
“क्या बात है, बेवकूफ लड़की ” ? रामलाल चिल्लाया । “मैं बस तुम्हें स्कूल ले जा रहा हूँ।” फिर उसने अपनी पत्नी से कहा, “आज उसे थोड़े अच्छे कपड़े पहना दो, नहीं तो अध्यापक और स्कूल की दूसरी लड़कियाँ उसे देखकर हमारे बारे में क्या सोचेंगी ?
New clothes had never been made for Bholi. The old dresses of her sisters were passed on to her. No one cared to mend or wash her clothes. But today she was lucky to receive a clean dress which had shrunk after many washings and no longer fitted Champa. She was even bathed and oil was rubbed into her dry and matted hair. Only then did she begin to believe that she was being taken to a place better than her home!
भोली के लिये कभी नये कपड़े नहीं बने थे। उसकी बहनों के पुराने कपड़े उसे दे दिये जाते। कोई उसके कपड़ों की मरम्मत करने या धोने की परवाह नहीं करता। लेकिन आज सौभाग्य से उसे साफ कपड़े मिले थे जो बार–बार धुलने से सिकुड़ गये थे और चम्पा को ठीक नहीं आते थे। आज यहाँ तक कि उसे नहलाया भी गया था और उसके रूखे और उलझे बालों में तेल लगाया था। तब जाकर उसे विश्वास हुआ कि उसे घर से बेहतर किसी स्थान पर ले जाया जा रहा है !
When they reached the school, the children were already in their classrooms. Ramlal handed over his daughter to the headmistress. Left alone, the poor girl looked about her with fear–laden eyes. There were several rooms, and in each room girls like her squatted on mats, reading from books or writing on slates. The headmistress asked Bholi to sit down in a corner in one of the classrooms.
जब वे स्कूल पहुँचे तो बच्चे पहले से ही अपनी कक्षाओं में थे। रामलाल ने अपनी बेटी मुख्य अध्यापिका को सौंप दी। अकेले रह जाने पर, बेचारी बच्ची डर से इधर-उधर देखने लगी । वहाँ बहुत से कमरे थे और हर कमरे में उसके जैसी लड़कियाँ चटाइयों पर बैठी हुई थीं, किताबें पढ़ रही थीं और स्लेटों पर लिख रही थीं। मुख्य अध्यापिका ने भोली से कक्षा के एक कोने में बैठने को कहा।
Bholi did not know what exactly a school was like and what happened there, but she was glad to find so many girls almost of her own age present there. She hoped that one of these girls might become her friend.
भोली को पता नहीं था कि वास्तव में स्कूल क्या है और वहाँ क्या होता है, लेकिन वह अपनी ही तरह बहुत सी लड़कियों को देखकर बहुत खुश हुई। उसने आशा की कि इनमें से कोई लड़की उसकी सहेली बन सकती है।
The lady teacher who was in the class was saying something to the girls but Bholi could understand nothing. She looked at the pictures on the wall. The colours fascinated her – the horse was brown just like the horse on which the Tehsildar had come to visit their village; the goat was black like the goat of their neighbour; the parrot was green like the parrots she had seen in the mango orchard; and the cow was just like their Lakshmi. And suddenly Bholi noticed that the teacher was standing by her side, smiling at her.
कक्षा में उपस्थित अध्यापिका लड़कियों से कुछ कर रही थी किन्तु भोली कुछ भी समझ नहीं सकी। उसने दीवारों पर बनी तस्वीरों को देखा। रंगों ने उसे आकर्षित किया घोड़ा भूरे रंग का था बिल्कुल उस घोड़े की तरह जिस पर क तहसीलदार उनके गाँव आया था। बकरी उसके पड़ोसी की बकरी की तरह काली थी; तोते हरे थे जैसे कि उसने आप के बाग में देखे थे; और गाय बिल्कुल उनकी लक्ष्मी की तरह थी और अचानक भोली ने ध्यान दिया कि अध्यापिका उसके पास खड़ी उसे देख कर मुस्करा रही है।
“What’s your name, little one?”
“तुम्हारा नाम क्या है, छोटी बच्ची ?”
calo
“Bh–Bho–Bho–.” She could stammer no further than that.
“भ भो भो ।” वह उससे अधिक नहीं हकला सकी।
Then she began to cry and tears flowed from her eyes in a helpless flood. She kept her head down as she sat in her corner, not daring to look up at the girls who, she knew, were still laughing at her.
फिर उसने रोना आरम्भ कर दिया और उसकी आँखों से आँसू असहाय बाढ़ की भाँति बहने लगे। उसने अपना सिर कोने की ओर झुका लिया और वह लड़कियों की ओर देखने की हिम्मत नहीं जुटा सकी जो कि, जैसा कि वह जानती थी, अब भी उस पर हँस रही थीं।
When the school bell rang, all the girls scurried out of the classroom, but Bholi dared not leave her corner. Her head still lowered, she kept on sobbing.
जब स्कूल की घंटी बजी, सभी लड़कियाँ कक्षा से बाहर दौड़ीं, लेकिन भोली को अपने कोने से उठने का साहस नहीं हुआ । उसका सिर अभी भी नीचे था, वह अब भी सुबक रही थी ।
“Bholi.”
“भोली ।”
The teacher’s voice was so soft and soothing! In all her life she had never been called like that. It touched her heart.
अध्यापिका की आवाज कितनी कोमल व आराम पहुँचाने वाली थी। अपने पूरे जीवन में उसे किसी ने भी इस तरह नहीं पुकारा था। इस बात ने उसका दिल छू लिया।
“Get up,” said the teacher. It was not a command, but just a friendly suggestion. Bholi got up.
“उठो “, अध्यापिका ने कहा। यह आदेश नहीं था बल्कि एक मित्रतापूर्ण सलाह थे । भोली उठ गयी।
“Now tell me your name.”
“अब मुझे अपना नाम बताओ।”
Sweat broke out over her whole body. Would her stammering tongue again disgrace her? For the sake of this kind woman, however, she decided to make an effort. She had such a soothing voice; she would not laugh at her.
उसके सारे शरीर पर पसीना आ गया। क्या उसकी हकलाने वाली जुबान फिर उसे अपमानित करायेगी ? फिर भी, इस दयालु महिला के लिये, उसने पुनः प्रयास करने का निर्णय लिया। उसकी आवाज में कितनी करुणा थी, वह उस पर नहीं हँसेगी।
“Bh–Bh–Bho–Bho–,” she began to stammer.
“भ भ भो भो,” उसने हकलाना शुरू किया।
“Well done, well done,” the teacher encouraged her. “Come on, now the full name?”
“शाबाश, शाबाश”, अध्यापिका ने उसे प्रोत्साहित किया। “बहुत बढ़िया, अब पूरा नाम बताओ ?”
“Bh–Bh–Bho–Bholi.” At last she was able to say it and felt relieved as if it was a great achievement.
“भ भ भो भोली ।” अन्त में वह पूरा नाम बोल सकी और उसे बड़ी शान्ति मिली जैसे कि यह एक बहुत बड़ी उपलब्धि थी।
“Well done.” The teacher patted her affectionately and said, “Put the fear out of your heart and you will be able to speak like everyone else.”
“शाबाश”, अध्यापिका ने उसे प्यार से थपथपाया और कहा “अपने मन से डर निकाल दो और तुम भी औरों की तरह ही बोलने लगोगी।”
Bholi looked up as if to ask, ‘Really?’
भोली ने ऊपर देखा जैसे कि पूछ रही हो, “वास्तव में ?”
“Yes, yes, it will be very easy. You just come to school everyday. Will you come?”
“हाँ, हाँ, यह बहुत आसान है। तुम बस प्रतिदिन स्कूल आती रहो। क्या तुम आओगी ?”
Bholi nodded.
भोली ने सिर हिलाया ।
“No, say it aloud. “
“नहीं, जोर से बोलो।’
“Ye–Ye–Yes.” And Bholi herself was astonished that she had been able to say it.
” ह ह हाँ ! ” और भोली स्वयं ही आश्चर्यचकित हो गयी कि वह बोल पाई थी।
“Didn’tI tell you? Now take this book.
“मैंने तुमसे कहा था न ? अब यह किताब ले लो। “
The book was full of nice pictures and the pictures were in colour – dog, cat, goat, horse, parrot, tiger and a cow just like Lakshmi. And with every picture was a word in big black letters.
किताब में सुन्दर चित्र थे और चित्र रंगीन थे- कुत्ता, बिल्ली, बकरी, घोड़ा, तोता, चीता और लक्ष्मी की तरह गाय और प्रत्येक चित्र के नीचे बड़े काले अक्षरों में एक-एक शब्द लिखे थे।
“In one month you will be able to read this book. Then I will give you a bigger book, then a still bigger one. In time you will be more learned than anyone else in the village. Then no one will ever be able to laugh at you. People will listen to you with respect and you will be able to speak without the slightest stammer. Understand? Now go home, and come back early tomorrow morning.”
“एक महीन में तुम यह किताब पढ़ने लगोगी। तब तुम्हें बड़ी किताब दूँगी, फिर और बड़ी । कुछ ही समय में तुम गाँव में सबसे ज्यादा पढ़-लिख जाओगी। फिर तुम पर कभी कोई नहीं हँस सकेगा। लोग सम्मानपूर्वक तुम्हारी बात सुनेंगे और तुम बिल्कुल भी हकलाये बिना बोल सकोगी। समझी ? अब घर जाओ और कल सुबह जल्दी आ जाना।”
Bholi felt as if suddenly all the bells in the villages temple were ringing and the trees in front of the school-house had blossomed into big red flowers. Her heart was throbbing with a new hope and a new life.
भोली को लगा जैसे अचानक गाँव के मंदिर की सारी घंटियाँ बजने लगी हों और विद्यालय के सामने के पेड़ पर बड़े–बड़े लाल फूल खिल गये हों। उसका दिन नई आशा व नये जीवन से धड़कने लगा।
Thus the years passed.
The village became a small town. The little primary school became a high school. There were now a cinema under a tin shed and a cotton ginning mill. The mail train began to stop at their railway station.
इस प्रकार वर्ष गुजरते गये।
गाँव एक छोटा–सा शहर बन गया। छोटा–सा प्राथमिक विद्यालय हाईस्कूल बन गया। अब वहाँ टीन की छाँव में एक सिनेमाघर भी था और एक सूत बनाने की मिल भी। तेज रफ्तार गाड़ी अब उनके रेलवे स्टेशन पर रुकने लगी थी।
One night, after dinner, Ramlal said to his wife, “Then, shall I accept Bishamber’s proposal?”
एक रात, रात्रिभोज के बाद, रामलाल ने अपनी पत्नी से कहा, “तो क्या मैं विशम्बर का प्रस्ताव स्वीकार कर लूँ?”
“Yes, certainly,” his wife said. “Bholi will be lucky to get such a well–to–do bridegroom. A big shop, a house of his own and I hear several thousand in the bank. Moreover, he is not asking for any dowry.”
“हाँ निश्चित रूप से”, उसकी पत्नी ने कहा । ” भोली इतना समृद्ध पति पाकर अत्यन्त भाग्यशाही रहेगी। एक बड़ी दुकान, अपना घर और मैंने सुना है कि बैंक में भी कुछ हजार रुपये हैं। और तो और, वह दहेज भी नहीं माँग रहा। “
“That’s right, but he is not so young, you know – almost the same age as I am – and he also limps. Moreover, the children from his first wife are quite grown up.”
“ये तो ठीक है, लेकिन वह इतना युवा नहीं है । तुम्हें पता है वह लगभग मेरी उम्र का है और वह लँगड़ाता भी है। और उसकी पहली पत्नी के बच्चे काफी बड़े हैं। “
“So what does it matter?” his wife replied. “Forty–five or fifty – it is no great age for a man. We are lucky that he is from another village and does not know about her pock–marks and her lack of sense. If we don’t accept this proposal, she may remain unmarried all her life.”
“तो इसका क्या फर्क पड़ता है ?” उसकी पत्नी ने उत्तर दिया। “पैंतालीस का पचास एक आदमी के लिये यह ज्यादा आयु नहीं है। हम भाग्यशाली हैं कि वह दूसरे गाँव का है और वह उसके चेचक के दाग और दिमाग की कमी के बारे में नहीं जानता। यदि हम यह प्रस्ताव स्वीकार न करें, तो हो सकता है वह पूरी उम्र अविवाहित ही रहे।”
“Yes, but I wonder what Bholi will say.”
“हाँ, लेकिन पता नहीं भोली क्या कहेगी ?”
“What will that witless one say? She is like a dumb cow.”
“वह बुद्धिहीन क्या कहेगी ? वह तो एक बेजुबान गाय है।”
“May be you are right, ” muttered Ramlal.
“शायद तुम ठीक कहती हो”, रामलाल बड़बड़ाया।
In the other corner of the courtyard, Bholi lay awake on her cot, listening to her parents’ whispered conversation.
आँगन के दूसरे कोने में, भोली अपनी चारपाई पर अपने माता-पिता की कानाफूसी में हो रही बातचीत को सुनते हुए जाग रही थी।
Bishamber Nath was a well–to–do grocer. He came with a big party of friends and relations with him for the wedding. A brass–band playing a popular tune from an Indian film headed the procession, with the bridegroom riding a decorated horse. Ramlal was overjoyed to see such pomp and splendour. He had never dreamt that his fourth daughter would have such a grand wedding. Bholi’s elder sisters who had come for the occasion were envious of her luck.
विशम्बर एक खाता – पिता पंसारी था। वह शादी के लिये अपने दोस्तों और रिश्तेदारों के बड़े समूह के साथ आया था। जुलूस (बारात) के आगे-आगे पीतल का बैण्ड एक भारतीय फिल्म की लोकप्रिय धुन बजा रहा था और दूल्हा एक सजे हुए घोड़े पर सवार था। रामलाल इतनी शान–शौकत देखकर अभिभूत था । उसने कभी सपने में भी नहीं सोचा था कि उसकी चौथी बेटी का विवाह इतने धूमधाम से होगा। भोली की बड़ी बहनें जो इस मौके पर आयी हुई थीं उसके भाग्य से ईर्ष्या कर रही थीं।
When the auspicious moment came the priest said, “Bring the bride.”
जब शुभ घड़ी आयी तो पुजारी ने कहा, “दुल्हन को ले आओ।”
Bholi, clad in a red silken bridal dress, was led to the bride’s place near the sacred fire.
लाल दुल्हन के जोड़े में लिपटी हुई भोली दूल्हें के पास पवित्र अग्नि के निकट लायी गयी ।
“Garland the bride, ” one of his friends prompted Bishamber Nath.
“दुल्हन को बरमाला पहनाओ”, विशम्बर नाथ के एक दोस्त ने उसे उकसाया।
The bridegroom lifted the garland of yellow marigolds. A woman slipped back the silken veil from the bride’s face. Bishamber took a quick glance. The garland remained poised in his hands. The bride slowly pulled down the veil over her face.
दूल्हे के पीले गेंदे के फूलों की माला उठाई एक महिला ने दुल्हन के चेहरे से रेशमी घूँघट हटा दिया। विशम्बर ने एक झलक देखा। माला उसके हाथों में ही रह गयी। दुल्हन ने धीरे से अपना घूँघट नीचे खींच लिया।
“Have you seen her? ” said Bishamber to the friend next to him. “She has pock-marks on her face.”
“क्या तुमने उसे देखा है ?” विशम्बर ने अपने पास खड़े दोस्त से कहा । “उसके चेहरे पर चेचक के दाग हैं। “
“So what? You are not young either.”
“तो क्या हुआ ? तुम भी तो युवा नहीं हो।”
“Maybe. ButifI am to marry her, her father must give me five thousand rupees.”
“हो सकता है। लेकिन मैं उससे तभी विवाह करूंगा जब उसके पिता मुझे पाँच हजार रुपये देंगे।
Ramlal went and placed his turban – his honour – at Bishamber’s feet. “Do not humiliate me so. Take two thousand rupees.”
रामलाल गया और उसने अपनी पगड़ी अपनी इज्जत विशम्बर के पैरों में रख दी। “मुझे इतना नीचा मत दिखाओ। दो हजार रुपये ले लो।”
“No. Five thousand, or we go back. Keep your daughter.”
“नहीं, पाँच हजार, नहीं तो हम वापस चले जायेंगे। अपनी बेटी अपने पास रखो। “
“Be a little considerate, please. If you go back, I can never show my face in the village.”
“कृपया, थोड़ा–सा विचार करो । यदि तुम वापस चले गये, तो मैं कभी गाँव में अपना चेहरा नहीं दिखा पाऊँगा।”
“Then out with five thousand.”
“तो पाँच हजार रुपये निकालो।”
Tears streaming down his face, Ramlal went in, opened the safe and counted out the notes. He placed the bundle at the bridegroom’s feet.
आँसुओं से अपने चेहरे को भिगोते हुए, रामलाल अन्दर गया, अपनी तिजोरी खोली और नोट गिने । उसने पैसों का बंडल दूल्हे के पैरों में रख दिया।
On Bishamber’s greedy face appeared a triumphant smile. He had gambled and won. “Give me the garland,” he announced.
विशम्बर के लालची मुख पर जीत की मुस्कराहट झलकी। उसने जुआ खेला और जीत गया था । “मुझे माला दे दो”, वह बोला।
Once again the veil was slipped back from the bride’s face, but this time her eyes were not downcast. She was looking up, looking straight at her prospective husband, and in her eyes there was neither anger nor hate, only cold contempt.
एक बार फिर दुल्हन के चेहरे से घूँघट सरकाया गया परन्तु इस बार उसकी नजरें नीचे झुकी हुई नहीं थी बल्कि ऊपर उठी हुई थीं। वह अपने होने वाले पति की ओर देख रही थी; और उसकी नजरों में न गुस्सा था न घृणा, केवल ठण्डा तिरस्कार।
Bishamber raised the garland to place it round the bride’s neck; but before he could do so, Bholi’s hand struck out like a streak of lightning and the garland was flung into the fire. She got up and threw away the veil.
विशम्बर ने दुल्हन के गले में डालने के लिये माला उठाई, परन्तु उसके ऐसा करने से पहले ही भोली का हाथ बिजली की सी तेजी से बाहर आया और उसने माला सीधे आग में फेंक दी। वह उठ खड़ी हुई और घूँघट उठा दिया।
“Pitaji !” said Bholi in a clear loud voice ; and her father, mother, sisters, brothers, relations and neighbours were startled to hear her speak without even the slightest stammer.
“पिता जी ! ” भोली ने सुस्पष्ट ऊँची आवाज में कहा, और उसके माता-पिता, बहनें, भाई, रिश्तेदार, पड़ोसी किसी हकलाहट के बिना उसे बोलते हुए सुनकर हैरान रह गये।
“Pitaji! Take back your money. I am not going to marry this man.”
“पिता जी!” अपने पैसे वापिस ले लो। मैं इस व्यक्ति के साथ शादी नहीं करूंगी।”
Ramlal was thunderstruck. The guests began to whisper, “So shameless! So ugly and so shameless!”
रामलाल, आश्चर्यचकित रह गया। मेहमान कानाफूसी करने ले, “इतनी बेशर्म, इतनी भट्टी और इतनी बेशर्मी “
“Bholi, are you crazy?” shouted Ramlal. “You want to disgrace your family? Have some regard for our izzat !”
रामलाल चिल्लाया, “भोली तू क्या पागल हो गई है ?” क्या तू अपने खानदान की नाक कटवाना चाहती है ? हमारी इज्जत का कुछ तो लिहाज कर।”
“For the sake of your izzat,” said Bholi, “I was willing to marry this lame old man. But I will not have such a mean, greedy and contemptible coward as my husband. I won’t, I won’t, I won’t.”
“आपकी इज्जत के लिये ही तो मैं, इस बूढ़े, लँगड़े आदमी के साथ शादी करने को तैयार थी। परन्तु मैं एक कमीने, लालची, और घृणित कायर व्यक्ति को अपना पति स्वीकार नहीं करूंगी, नहीं करूँगी, नहीं करूंगी।”
“What a shameless girl! We all thought she was a harmless dumb cow.
“कितनी बेशर्म लड़की है! हम सोचते थे वह एक मासूम गाय है। “
Bholi turned violently on the old woman. “Yes, Aunty, you are right. You all thought I was a dumb–driven cow. That’s why you wanted to hand me over to this heartless creature. But now the dumb cow, the stammering fool, is speaking. Do you want to hear more?”
भोली उस बूढ़ी महिला की ओर मुड़ी (और बोली) “हाँ चाची तुम ठीक कहती हो। तुम सभी समझती थीं कि मैं गूँगी गाय हूँ। और आप इसीलिये मुझे इस कठोर हृदयविहीन इंसान के हाथ सौंपना चाहती थीं। ” परन्तु अब वही गूँगी बोल रही है (बिना हकलाये बोल रही है) आप और कुछ सुनना चाहते हैं ? “
Bishamber Nath, the grocer, started to go back with his party. The confused bandsmen thought this was the end of the ceremony and struck up a closing song.
विशम्बर नाथ, पंसारी ने बराता वापिस लेकर चलना आरम्भ कर दिया। घबराए हुए, बाजे वालों ने सोचा कि शादी समाप्त हो चुकी है अतः उन्होंने विदाई की धुन बजानी शुरू कर दी।
Ramlal stood rooted to the ground, his head bowed low with the weight of grief and shame.
रामलाल, मानो पृथ्वी में पड़ गया । दुःख और लज्जा से उसका सिर झुका हुआ था।
The flames of the sacred fire slowly died down. Everyone was gone. Ramlal turned to Bholi and said, “But what about you, no one will ever marry you now. What shall we do with you?”
पवित्र अग्नि की लपटें बुझ चुकी थीं। सभी जा चुके थे। रामलाल, भोली की ओर मुड़ा और बोला “परन्तु अब तुम्हारा क्या होगा, अब तुमसे कोई भी शादी नहीं करेगा। हम तुम्हारा क्या करेंगे ?”
And Sulekha said in a voice that was calm and steady, “Don’t you worry, Pitaji! In your old age I will serve you and Mother and I will teach in the same school where I learnt so much. Isn’t that right, Ma’am?”
और सुलेखा शांत और स्थिर आवाज में बोली, “आप चिन्ता न करें, पिता जी, मैं आप के बुढ़ापे में आपकी और माँ की सेवा करूँगी । और मैं उसी स्कूल में पढ़ाया करूँगी जहाँ से मैंने इतना कुछ सीखा है। मैडम, क्या मैं ठीक कह रही हूँ?”
The teacher had all along stood in a corner, watching the drama. “Yes, Bholi, of course,” she replied. And in her smiling eyes was the light of a deep satisfaction that an artist feels when contemplating the completion of her masterpiece.
इस दौरान अध्यापिका एक कोने में खड़ी इस पूरे नाटक को देख रही थी, बोली, “हाँ भोली, ठीक है” उसकी मुस्कराती हुई नजरों में सन्तुष्टि की रोशनी थी और जो एक कलाकार उस वक्त अनुभव करता है जब वह अपनी सर्वोत्तम कलाकृति को अन्तिम रूप देता है।
K.A. ABBAS
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