4. एही ठैयाँ झुलनी हेरानी हो रामा !
शिवप्रसाद मिश्र ‘रुद्र’
इस कहानी में एक महिला नामक दुलारी है, जो एक महिला प्रशंसिका और पद्य गायिका है। वह बगड़ क्षेत्र में अपने गाने की महत्त्वपूर्ण प्रतिष्ठा हासिल कर चुकी है।
एक दिन, दुलारी गाने के लिए बाज़ार जाती है और वहां गाने के बाद उसका प्रशंसक टुन्नू मिलता है, जो गाने का जोश लेकर आया है। दुलारी और टुन्नू के बीच एक गाने का प्रतिस्पर्धा होता है, जिसमें दोनों की गायन कौशल्य का प्रदर्शन होता है।
टुन्नू का गाना प्रशंसा प्राप्त करता है और उसकी मात्र गायन कौशल्य को सराहते हैं। इसके बाद, दुलारी भी गाने के बारे में बोलती है और उसका गाना भी प्रशंसा प्राप्त करता है।
इसके बाद, टुन्नू की ओर से एक गीत आता है, जिसमें वह दुलारी को बगुला कहता है और उसकी गाने की प्रशंसा करता है। दुलारी इस पर प्रतिक्रिया देती है और उसका जवाब देती है, जिसमें वह टुन्नू को बगुले के रूप में तारीफ करती है और उसे गाने के लिए प्रेरित करती है।
इसके बाद, टुन्नू का गाना और दुलारी का जवाब होता है, जिसमें उनका गीत दोनों के बीच के महत्वपूर्ण प्रतिष्ठा की ओर बढ़ता है।
इस कहानी के ज़रिए, हम देखते हैं कि किसी कला या प्रतिस्पर्धा में न केवल प्रशंसा, बल्कि सहयोग और समर्थन भी महत्वपूर्ण होते हैं। दुलारी और टुन्नू के बीच का साहस और उनकी आपसी समझ इस कहानी के मुख्य संदेश को प्रकट करते हैं।
दुलारी ने टुन्नू को विदा करने के बाद उसके बदलते वेशभूषा को नोट किया। वह समझती थी कि टुन्नू की यह परिवर्तन क्यों हुआ है, लेकिन उसने उससे पूछने का मौका नहीं पाया। वह टुन्नू के प्रति अपनी भावनाओं को नियंत्रित करने की कोशिश करती थी, लेकिन आखिरकार उसे यह अहसास हुआ कि वास्तविक प्यार शरीरिक बनावट से नहीं, आत्मा से होता है। वह समझ गई कि उसके दिल में टुन्नू के प्रति सच्चा प्यार है।
टुन्नू भी उसके पास आता लेकिन खास बातचीत नहीं करता, केवल उसकी बातें सुनता है और फिर चुपचाप चला जाता है। दुलारी की आज की उसकी वेशभूषा के परिवर्तन ने उसके मन में करुणा उत्पन्न की। अब वह जानती थी कि टुन्नू की प्रेम उसके शरीर के साथ नहीं, आत्मा के साथ है।
दुलारी ने एक दिन टुन्नू के द्वारा दी गई साड़ी को बड़े यत्न से अपने कपड़ों के नीचे दबा दिया, जिससे उसकी भावनाओं में सुधार हुआ। इसके बाद, जुलूस के दौरान एक घटना होती है जिसमें टुन्नू की पहचान हो जाती है, लेकिन दुलारी इसे छिपा देती है।
कहानी में दुलारी और टुन्नू के बीच की अद्वितीय रिश्तों का परिप्रेक्ष्य दिखाया गया है, जो शरीरिक रूप से नहीं, बल्कि आत्मिक दर्शन के साथ होते हैं। कहानी में सामाजिक संवाद का महत्वपूर्ण स्थान है और यह दिखाती है कि अक्सर हम अपने भावनाओं को छिपा देते हैं, लेकिन वास्तविकता में हमारी भावनाएं हमारे आदर्शों और मूल्यों को प्रकट करती हैं।
इस कहानी का यह भाग तब है जब दुलारी, जो अपने दोस्त टुन्नू के विचारों को समझने की कोशिश कर रही है, अचानक एक अच्छानक घटना का सामना करती है। एक दिन, दुलारी फेंकू सरदार के साथ होती है, और वह उसके साथ झगड़ने लगती है। इस झगड़े में, दुलारी ने फेंकू सरदार को धमकाया कि वह उसके घर के दरवाजे को छोड़कर नहीं जाने देगी।
दुलारी का क्रोध बढ़ जाता है और वह धमाधम झड़ू मारने लगती है, लेकिन फेंकू सरदार खुद को उसके लिए खतरे में महसूस करते हैं। इसके बाद, दुलारी उसे धमकाती है कि वह उसकी नाक काट देगी। दुलारी के क्रोध से उसके नथने फूल जाते हैं और उसके आँखों से आग निकलती है।
फेंकू सरदार उसके घर के बाहर ही छोड़ जाते हैं और दरवाज़ा बंद करते हैं। उसके बाद, दुलारी के पड़ोसिनों ने उसके पास आकर उसे शांत करने का प्रयास किया और वह धीरे-धीरे ठंडी हो जाती है।
फिर, दुलारी टुन्नू के बारे में पूछती है और जानती है कि उसकी मौत हो गई है, जिसे वह अमन सभा में गाना गाने के लिए बुलाई गई है। इससे दुलारी के दिल में दर्द होता है और वह समझती है कि वह अपने दोस्त टुन्नू के साथ नहीं हो सकेगी।
दुलारी की इस सीन में वह अपनी भावनाओं को बाहर लाती है और वह अपनी कोठरी के द्वार से बाहर निकलकर अमन सभा की तरफ बढ़ती है, जहां उसके पड़ोसिनों और संगीतकार दोस्त बिट्टो उसे साहस देते हैं कि वह गाने के लिए तैयार हो जाए।
रिपोर्ट की कापी के साथ, प्रधान संवाददाता ने अपने सहकर्मी शर्मा जी से कुछ भीतरी बातें की। उन्होंने शर्मा जी को सलाह दी कि वे अखबार के स्थान पर चाय की दुकान खोल लें, क्योंकि उनकी रिपोर्टिंग का कोई विशेष महत्व नहीं रखता। इसके परिणामस्वरूप, उन्होंने शर्मा जी को कुछ दांत लगाई।
शर्मा जी ने यह सब सुनकर थोड़ा शर्मिंदा होकर अपने चश्मा उठाया और पूछा, “क्या हुआ?”
प्रधान संवाददाता ने शर्मा जी से पूछा कि क्या उन्होंने उनकी रिपोर्ट पर किसी विचार किया है और क्या उनके लिखे जाने वाले लेख के लिए और कोई साक्षायी है। उन्होंने इसके बाद कहा कि अगर वह उनकी रिपोर्ट छपते हैं, तो अखबार बंद हो सकता है और संपादक जी खत्मी ले जाएंगे।
संपादक जी ने भी इस वार्ता को सुना और पूछा, “क्या बात है?”
प्रधान संवाददाता ने उसको शर्मा जी की रिपोर्ट को दिखाकर बताया कि इसमें उनकी रिपोर्टिंग की बिना कोई महत्वपूर्ण जानकारी के किस्से छपे हैं। संपादक ने इस पर विचार किया और फिर स्वीकार किया कि इसका कोई महत्व नहीं है।
फिर, शर्मा जी ने अपनी रिपोर्ट की कॉपी पढ़ना शुरू किया, और प्रधान संवाददाता ने उनसे उनके रिपोर्ट के शीर्षक के बारे में पूछा। शर्मा जी ने उत्तर दिया, “एही ठैयाँ झुलनी हेरानी हो रामा।”
उन्होंने फिर रिपोर्ट को पढ़ना शुरू किया, जिसमें बताया गया कि कैसे नगर में पूर्ण हड़ताल हुई, और टुन्नू के मौत का विवरण दिया गया। इसके साथ ही, टुन्नू और उसकी गर्लफ्रेंड दुलारी के रिश्ते के बारे में भी बताया गया कि उनके बीच की कई घटनाएं।
इसके बाद, रिपोर्ट में टुन्नू के मौत के बारे में बताया गया कि वह कैसे पुलिस के जमादार द्वारा पकड़े गए और मारे गए। उसके बाद, उसकी गाड़ी से होने वाले घातक चोट का वर्णन भी किया गया।
इसके बाद, रिपोर्ट में दुलारी की दुखभरी कहानी भी दी गई, और यह बताया गया कि वह गाने के लिए जिंदगी की अच्छी तरह से तैयार नहीं थी, लेकिन मजबूरी में गाने को स्वीकार किया। फिर उसने टुन्नू की मौत के बाद उसके अधर-प्रांत में दर्द और उसकी प्रेम के प्रति अपनी भावनाओं का वर्णन किया। इसके बाद, दुलारी ने गाने का विवरण दिया और गीत का अंश गाया, जो दर्शकों को गहरे भावनाओं में ले जाता है।
रिपोर्ट पढ़ने के बाद, संपादक जी ने कहा कि यह सत्य है, लेकिन छपा नहीं जा सकता क्योंकि यह रिपोर्ट बिना किसी साक्षायी के है। इसके बावजूद, दुलारी ने गाने का वर्णन किया और उसका प्रदर्शन किया, जिससे सभी उपस्थित लोग भावनाओं में लिपटे।
इस रूप में, इस कथा में गाया गया गीत और दुलारी की प्रेम की दर्दभरी कहानी का वर्णन किया गया है, जो सुनने वालों के दिलों को छू लेता है।
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