5. मैं क्यों लिखता हूँ
अज्ञेय
इस पाठ के लेखक अज्ञेय जी हैं, जिन्होंने इस प्रश्न का उत्तर देने का प्रयास किया है कि मैं क्यों लिखता हूँ? लेखक कहते हैं कि इसका संबंध उनके आंतरिक जीवन से होता है। वे लिखते हैं क्योंकि यह उनके आंतरिक अनुभवों का एक तरीका है, जो उन्हें समझने और बाहर करने में मदद करता है। वे कविता और लेखन के माध्यम से अपने भीतरी आवाज को बाहर लाते हैं और विवशता से मुक्त होते हैं। लेखक कहते हैं कि कृतिकार लिखते हैं क्योंकि उन्हें यह जानने की जरूरत होती है कि वे क्यों लिखते हैं।
वे यह भी समझाते हैं कि कुछ कृतिकार बाहरी दबाव के तहत लिखते हैं, जैसे कि संपादकों की मांग या आर्थिक आवश्यकता के चलते, लेकिन सबके लिए लेखन उनके आंतरिक आवाज को बाहर लाने का माध्यम होता है।
लेखक का उदाहरण देते हैं कि उन्होंने कैसे अपने आंतरिक अनुभवों को लिखकर व्यक्त किया, जैसे कि हिरोशिमा और वहां के दृश्यों ने उन्हें कैसे प्रभावित किया। यह अनुभव से अनुभूति की ओर जाने का प्रमुख कारण था, और उन्होंने इसे कविता में व्यक्त किया।
लेखक का आदर्श यह है कि लेखन उन्हें उनके आंतरिक आवाज को बाहर लाने में मदद करता है, और यह कृतिकारों के लिए महत्वपूर्ण है। वे कविता और लेखन के माध्यम से अपने भीतरी आवाज को सुनाने का प्रयास करते हैं और इससे उन्हें गहरी अनुभूति होती है।
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